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जहा पर चाहत होती है, जहा पर प्यार होता है वही पर हमेशा लोग ठहरते है और जहा पर प्यार नहीं होता वह पर बड़े आदमी तो दूर छोटे बच्चे भी नहीं ठहरते है तो हमें इस से यह शिख मिलतीं है कि हमेशा प्यार ही काम आता है और नफरत हमेशा काम ख़राब करती है
harsh8939:
hi
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2
जिस जगह से इस युवक को पकड़ा गया, वही से कुछ दूरी पर झुग्गी में रहने वाले एक प्रतिभावना युवक को सन्मानित किया जा रहा था। इस युवक ने प्रतिष्ठिता स्कूल की प्रवेश परिक्षा पास की थी।इस युवक से जब पूछा गया कि उसे इसकी प्रेरणा कहा से मीली, तो उसने जवाब दिया की , "मै एक ऐसे घर में पला-बड़ा जहा जरुरतो के लिए भी पैसे नहीं होते थे। मेरे पिता शराबी थे और जब मुझे व मेरे भाई को मारते रहते थे। किताबे खरीदने के भी पैसे नहीं होते थे।" युवक ने कहा की , "मेने तभी तय कर लिया था की अगर मुझे इन सबसे बाहर निकलना है, तो कड़ी मेहनत करनी होगी। अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा और अपने भाग्य का निर्माण स्वय करना होगा, बस मैने यही किया।"
आपको अनुमान लगा गया होगा कि ये दोनों युवक दरअसल भाई है। आखिर ऐसा कैसे हो गया कि दोनों भाई एक ही तरह की परिस्थितियों में पले-बड़े, फिर भी दोनों में इतना अंतर आ गया। कारन स्पष्ट है ! एक ने परिस्थितियों व दूसरो को दोष देने की राह चुनी, तो दुसरे ने अपनी जिम्मेदारी खुद उठाने का फेसला किया।
इससे एक सीधी सी सीख यही मिलाती है कि परिस्थितिया कैसी भी हो, अगर आप में कुछ बनने का जुनून है, तो आप इनसे पार पाकर अपने लक्ष्य को जरुर हासिल कर सकते है।
जीवन एक संघर्ष पथ है,जरुरी नहीं है कि परिस्थितिया सदैव आपके अनुकूल हो,कई बार इन्सान परिस्थितियों से लड़ने के बजाए उन्हें नियति मान लेता है। ऐसा इन्सान जीवन में कभी कुछ नहीं कर पाता और अपनी इस स्थिति के लिए दूसरो को दोष देता रहता है।
जिस जगह से इस युवक को पकड़ा गया, वही से कुछ दूरी पर झुग्गी में रहने वाले एक प्रतिभावना युवक को सन्मानित किया जा रहा था। इस युवक ने प्रतिष्ठिता स्कूल की प्रवेश परिक्षा पास की थी।इस युवक से जब पूछा गया कि उसे इसकी प्रेरणा कहा से मीली, तो उसने जवाब दिया की , "मै एक ऐसे घर में पला-बड़ा जहा जरुरतो के लिए भी पैसे नहीं होते थे। मेरे पिता शराबी थे और जब मुझे व मेरे भाई को मारते रहते थे। किताबे खरीदने के भी पैसे नहीं होते थे।" युवक ने कहा की , "मेने तभी तय कर लिया था की अगर मुझे इन सबसे बाहर निकलना है, तो कड़ी मेहनत करनी होगी। अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा और अपने भाग्य का निर्माण स्वय करना होगा, बस मैने यही किया।"
आपको अनुमान लगा गया होगा कि ये दोनों युवक दरअसल भाई है। आखिर ऐसा कैसे हो गया कि दोनों भाई एक ही तरह की परिस्थितियों में पले-बड़े, फिर भी दोनों में इतना अंतर आ गया। कारन स्पष्ट है ! एक ने परिस्थितियों व दूसरो को दोष देने की राह चुनी, तो दुसरे ने अपनी जिम्मेदारी खुद उठाने का फेसला किया।
इससे एक सीधी सी सीख यही मिलाती है कि परिस्थितिया कैसी भी हो, अगर आप में कुछ बनने का जुनून है, तो आप इनसे पार पाकर अपने लक्ष्य को जरुर हासिल कर सकते है।
जीवन एक संघर्ष पथ है,जरुरी नहीं है कि परिस्थितिया सदैव आपके अनुकूल हो,कई बार इन्सान परिस्थितियों से लड़ने के बजाए उन्हें नियति मान लेता है। ऐसा इन्सान जीवन में कभी कुछ नहीं कर पाता और अपनी इस स्थिति के लिए दूसरो को दोष देता रहता ह."
hope this will help u
short the story if you want .
आपको अनुमान लगा गया होगा कि ये दोनों युवक दरअसल भाई है। आखिर ऐसा कैसे हो गया कि दोनों भाई एक ही तरह की परिस्थितियों में पले-बड़े, फिर भी दोनों में इतना अंतर आ गया। कारन स्पष्ट है ! एक ने परिस्थितियों व दूसरो को दोष देने की राह चुनी, तो दुसरे ने अपनी जिम्मेदारी खुद उठाने का फेसला किया।
इससे एक सीधी सी सीख यही मिलाती है कि परिस्थितिया कैसी भी हो, अगर आप में कुछ बनने का जुनून है, तो आप इनसे पार पाकर अपने लक्ष्य को जरुर हासिल कर सकते है।
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