Hindi, asked by santoshsuthar3639, 5 months ago

give. asnwer pls.

what title i must give to this paragraph in hindi

सिकंदर मरा, तो जिस राजधानी में उसकी अर्थी निकली, हज़ारों-लाखों लोग उस अर्थी को देखने इकट्ठे हुए
थे।
सिकंदर के दोनों हाथ अर्थी के बाहर लटके हुए थे। ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि मरे हुए आदमी के हाथ बाहर
लटके होते हों। लोग कहने लगे- कोई भूल हो गई है? किसी भिखमंगे की अर्थी होती तो भूल हो सकती थी,
एक सम्राट मरा था- विश्वविजयी। बड़े-बड़े सम्राट कंधा दे रहे थे— पर किसी ने नहीं पूछा कि हाथ बाहर क्यों
लटके हैं ? धीरे-धीरे लोगों में कानाफूसी हुई तो पता चला कि सिकंदर ने खुद यह चाहा था। दोस्तों ने पूछा,
व्या पागलपन है? सिकंदर ऐसा क्यों चाहता था?" सिकंदर ने कहा था, "मैं चाहता हूँ कि लोग देख लें कि मैं
भी खाली हाथ जा रहा हूँ, मेरे हाथ भरे हुए नहीं है। जितना इकट्ठा किया था-हीरे-जवाहरात, राज्य, धन-दौलत
सब अपनी जगह हैं, बस मैं ही चला।" हम भी जिंदगीभर दौड़कर हाथ भरते हैं फिर पाते हैं हाथ खाली रह गए
हैं, सारी दौड़ व्यर्थ हो जाती है। करीब-करीब वैसे ही जैसे दूर धरती और आसमान मिलते नज़र आते हैं, पास
जाने पर वह और दूर हो जाते हैं, परंतु वह जगह कभी नहीं मिलती जहाँ दोनों वास्तव में मिलते हों।

i. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
जाले दार थे?​

Answers

Answered by ayeshaqasmi
1

khali haath sikander ke

Answered by nainapal127
0

Answer:

Sikandar ke khali hath .

Similar questions