Give me a short essay on paradhinta kya hai in hindi
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पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं (पराधीनता) पर लघु निबंध
भक्त शिरोमणि गोस्वामी तुलसी की यह सुक्ति बड़ी ही सारगर्भित और भावप्रद है-
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।
अर्थात् पराधीन व्यक्ति को स्वप्न में भी सुख प्राप्त नहीं होता है। पराधीनता अर्थात् परतंत्रता वास्तव में कष्ट और विपदा को उत्पन्न करने वाली होती है। पराधीनता का अर्थ ही है – पर और अधीनता, अर्थात् दूसरे के अधीन वश में रहना ही पराधीनता है।
पराधीनता के स्वरूप पर विचारने से हम यह सोच सकते हैं कि दूसरे के वश में या अधिकार में रहने वाले व्यक्ति का जीवन किस प्रकार से सुखी रह सकता है। वह न तो अपने कोई इच्छा रखते हुए कार्य कर सकता है और न इसकी कोई आशा ही रख सकता है, क्योंकि लगातार गुलामी की बेड़ी में जकड़ा होने के कारण वह अपनी भावनाओं की जीवित नहीं रख सकता है। इसलिए पराधीन व्यक्ति का आत्मा से मरा हुआ व्यक्ति समझा जाता है। जिस प्राणी की आत्मा ही नहीं है, वह फिर क्या कोई इच्छा या भावना रखकर कोई कार्य कर सकता है अर्थात् नहीं।
भक्त शिरोमणि गोस्वामी तुलसी की यह सुक्ति बड़ी ही सारगर्भित और भावप्रद है-
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।
अर्थात् पराधीन व्यक्ति को स्वप्न में भी सुख प्राप्त नहीं होता है। पराधीनता अर्थात् परतंत्रता वास्तव में कष्ट और विपदा को उत्पन्न करने वाली होती है। पराधीनता का अर्थ ही है – पर और अधीनता, अर्थात् दूसरे के अधीन वश में रहना ही पराधीनता है।
पराधीनता के स्वरूप पर विचारने से हम यह सोच सकते हैं कि दूसरे के वश में या अधिकार में रहने वाले व्यक्ति का जीवन किस प्रकार से सुखी रह सकता है। वह न तो अपने कोई इच्छा रखते हुए कार्य कर सकता है और न इसकी कोई आशा ही रख सकता है, क्योंकि लगातार गुलामी की बेड़ी में जकड़ा होने के कारण वह अपनी भावनाओं की जीवित नहीं रख सकता है। इसलिए पराधीन व्यक्ति का आत्मा से मरा हुआ व्यक्ति समझा जाता है। जिस प्राणी की आत्मा ही नहीं है, वह फिर क्या कोई इच्छा या भावना रखकर कोई कार्य कर सकता है अर्थात् नहीं।
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