Hindi, asked by mayuri3, 1 year ago

Give me a short note swatantra ka mulya

Answers

Answered by Akay11
1
स्वाधीनता हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। इसको पाने के लिए यदि मनुष्य को लड़ना भी पड़े, तो सदैव तत्पर रहना चाहिए। पराधीनता वह अभिशाप है, जो मनुष्य के आचार-व्यवहार, उसके परिवेश, समाज, मातृभूमि और देश को गुलाम बना देता है। भारत ने बहुत लंबे समय तक गुलामी के शाप को सहा है। सर्वप्रथम वह मुगलों के अधीन रहा। उनके द्वारा भारत ने अनेक अत्याचार सहे परन्तु उसकी नींव नहीं हिली। 'मुगल' पहले लूटमार के मकसद से आए थे। परन्तु धीरे-धीरे उन्होंने यहाँ रहना स्वीकार कर हमारे देश पर शासन किया। यदि कुछ मुगल शासकों को अनदेखा कर दिया जाए, तो बाकी मुस्लिम शासकों ने यहाँ की धन-संपदा का शोषण नहीं किया। मुगल यहाँ अपना शासन चाहते थे। लूटमार करना उनका उद्देश्य नहीं था। मुगलकाल के समाप्त होते-होते अंग्रेज़ों ने यहाँ अपने पैर पसारने शुरु किए। पहले-पहल उन्होंने भारत को व्यापार के लिए चुना परन्तु उनका उद्देश्य बहुत बाद में समझ आया। व्यापार करते हुए उन्होंने पूरे भारत को अपने हाथों में समेटना शुरु कर दिया। उनका उद्देश्य यहाँ की अतुल धन-संपदा को अपने देश में पहुँचाना था। भारत का विकास और उन्नति उनका उद्देश्य कभी नहीं था। इनके शोषण से सभी राज्यों के राजा से लेकर भारतीय जनता भी दुखी हो उठी थी। उनसे स्वयं को आज़ाद कराने के लिए भारत व उसके नागरिकों को बहुत सी आहूतियाँ देनी पड़ीं, तब जाकर देश आज़ाद हुआ है। इसलिए स्वतंत्रता के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है।
Answered by patansultan
1
देश के स्वतंत्रता संग्राम के विस्तृत इतिहास में वर्ष 1857 की भूमिका डेढ़, सदी बीत जाने के बाद भी न सिर्फ जनमानस में गहरे उतरती जा रही है, बल्कि उसका महत्त्व भी मुखर हो कर सामने आता जा रहा है इस जन आन्दोलन में अनेकों वीरों ने अपने रक्तप्राण का बलिदान सहर्ष दिया और अंतिम इच्छा यही प्रकट की, कि उनका देश ब्रिटिश राज से मुक्त हो जाए। यह स्मृतियां केवल इतिहास के पृष्ठों में संजोने के लिए नहीं है बल्कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी प्रसार पाने योग्य गौरव गाथा हैं, जिन्हें मानना देश को जानने जैसा ही पुण्य कार्य है। बिना आजादी का इतिहास जाने आजादी का मूल्य भला कैसे समझा जा सकता है और उसका मूल्य समझे बगैर हमारी पीढ़ियां उसकी रक्षा के लिए प्रणबद्ध कैसे हो पाएंगी ?
यह रोचक और तथ्यपूर्ण पुस्तक इसी दायित्व का वहन करते समाने आई है और निश्चित रूप से पाठक इसे मूल्यवान पाएंगे। 
जब अंग्रेजों ने एक-एक करके भारत के राज्यों को हड़पना शुरू कर दिया, देश की जनता पर जुल्म का चक्कर चलाया तो भारत माता के बहादुर सपूतों ने देश को आजाद कराने के लिए सिर धड़ की बाजी लगा दी और देश को गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह किया। 
प्रस्तुत है उन्हीं बहादुर नौजवानों के संघर्ष की रोमांचक गाथा 1857 का स्वतंत्रता संग्राम।
Similar questions