Hindi, asked by a7akumanriyasang, 1 year ago

Give me an essay on mera priya khel kho kho in hindi

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Answered by tejasmba
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मेरा प्रिय खेल खो-खो

मनुष्य जीवन में खेलों का अधिक महत्व है। खेल खेलने से शरीर स्वस्थ और निरोगी बनता है। स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने के लिए खेल बहुत महत्वपूर्ण है। इनके बिना जीवन सुस्त हो जाता है। मनुष्य में आलस्य बढ़ने लगता है और शारीरिक क्षमता का विकास रूक जाता है।

वैसे तो खेल कई प्रकार के होते हैं। घर के बाहर खुली हवा में, खुले वातावरण में, मैदान में कई खेल खेले जाते हैं। तो कई खेल घर के अन्दर बैठे-बैठे खेले जाते हैं। घर के अन्दर खेले जाने वाले खेलों में मनोरंजन तो होता है, परंतु इनसे शरीर में फुर्ती नहीं आती। उनसे स्वास्थ्य को कोई लाभ नहीं होता है। कमरे के बाहर खेले जाने वाले खेल में खो-खो, कबड्डी, क्रिकेट, हाँकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल आदि अनेक खेल हैं। मुझे इन खेलों में से खो-खो का खेल सबसे अधिक पसंद है।

खो-खो भारतीय मैदानी खेल है। इस खेल में न किसी गेंद की आवश्यकता होती है, न बल्ले की। इस खेल में मैदान के दोनों ओर दो खम्भों के अतिरिक्त किसी अन्य साधन की जरूरत नहीं पड़ती। इस खेल में पीछा करने वाले खिलाड़ी और प्रतिरक्षक खिलाड़ी, दोनों में अत्यधिक तंदुरुस्ती, कौशल, गति, और ऊर्जा की जरूरत होती है।

खो-खो का खेल दो दल में खेला जाता है। हर दल में खिलाड़ी खेल खेलते हैं, और खिलाड़ी अतिरिक्त होते हैं। इसके लिये केवल 51 फुट चौड़े और 111 फुट लंबे मैदान की आवश्यकता होती है। दोनों तरफ दस-दस फुट स्थान छोड़कर चार-चार फुट ऊँचे, लकड़ी के दो स्तंभ गाड़ दिए जाते हैं और इन स्तंभों के बीच की दूरी आठ समान भागों में इस प्रकार विभाजित कर दी जाती हे कि दोनों दलों के खिलाड़ी एक दूसरे की विरुद्ध दिशाओं की ओर मुंह करके अपने-अपने नियत स्थान पर बैठ सकें। प्रत्येक दल को एक-एक पारी के लिए सात-सात मिनट दिए जाते हैं और नियत समय में उस दल को अपनी पारी समाप्त करनी होती है। दोनों दलों में से एक-एक खिलाड़ी खड़ा होता है, पीछा करने वाले दल का खिलाड़ी विपक्षी दल के खिलाड़ी को पकड़ने के लिए सीटी बजते ही दौड़ता है। विपक्षी दल का खिलाड़ी पंक्ति में बैठे हुए खिलाड़ियों का चक्कर लगाता है। जब पीछा करने वाला खिलाड़ी उस भागने वाले खिलाड़ी के निकट आ जाता हैं, तब वह अपने ही दल के खिलाड़ी के पीछे जाकर 'खो' शब्द का उच्चारण करता है तो वह उठकर भागने लगता है और पीछा करने वाला खिलाड़ी पहले को छोड़कर दूसरे का पीछा करने लगता है।

खो-खो के खेल से बहुत लाभ हैं। इससे शरीर में चुस्ती आती है। शरीर बलवान बनता है और सबका मनोरंजन भी होता है। इससे अनुशासन और मिल जुलकर काम करने की भावना पैदा होती है। परस्पर सहयोग और भाईचारे की भावना के विकास के लिए भी यह खेल बहुत उत्तम है। अपनी दिनचर्या में खेल के लिए समय निकालिए और अपने स्वास्थ्य में फर्क देखिये। आपकी दूसरे कार्य करने की शक्ति भी अपने आप बढ़ जाएगी। खेलने के बाद स्फूर्ति आती है और इंसान खुश रहता है। चिड़चिड़ापन नहीं होता।

खेल तो कई हैं और प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी रुचि के अनुसार उनमें भाग लेता है, पर खो-खो जैसे खेल की बात ही कुछ निराली हैं। यही कारण है कि यह खेल मुझे बहुत अधिक प्रिय है।
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