Give me an essay on mera priya khel kho kho in Marathi
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मेरा प्रिय खेल हाकी- हाकी मेरा प्रिय खेल है। यह अन्र्तराष्ट्रीय खेल है। हमारे देश का यह अत्यधिक प्रिय और सम्मानित खेल हे। यह बहुत पुराना खेल है। कुछ लोगों का मानना है कि यह ईसा से दो हजार वर्ष इसका प्रारम्भ हुआ था। सन् 1908 में सर्वप्रथम यह खेल ओलम्पिक में भी खेला गया था।
‘हाकी’ के खेल में भी अन्य खेलों की भाँति दो दल होते हैं। प्रत्येक दल में ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी होते हैं। मुख्य रूप से यह खेल अस्सी मिनट का होता है। पैंतीस मिनट के बाद मध्यान्तर होता है। मध्यान्तर के बाद भी पैंतीस मिनट का खेल होता है। दोनो दलों के कप्तानों की स्वीकृति और सहमति से सिक्का उछाल कर खेल शुरू करने और मैदान को चुनने का कार्य होता है। खेल शुरू होने पर दोनों दलों के खिलाड़ी गोल करने के लिए जी जान एक कर देते हैं। जो दल अधिक गोल करने में सफल होता है, वही दल जीता हुआ माना जाता है। यदि खेल में किसी प्रकार के नियम तोड़े जाते हैं तो निर्णायक सीटी बजा कर खेल को रूकवा देता है। निर्णय का निष्पक्ष होना जरूरी है। वह जो भी निर्णय देता है दोनों दलों को उसे मानना पड़ता है।
लाभ- हाकी के खेल से बहुत लाभ हैं। इससे शरीर में चुस्ती आती है। शरीर बलवान बनता है और मनोरंजन भी होता है। इससे अनुशासन और मिलकर काम करने की भावना पैदा होती है। परस्पर सहयोग और भाईचारे की भावना के विकास के लिए भी यह खेल बहुत उत्तम है।
उपसंहार- खेल तो कई हैं और प्रत्येक व्यक्ति अपनी अपनी रूचि के अनुसार उनमें भाग लेता है, पर हाकी जैसे खेल की बातें ही निराली हैं। यही कारण है कि यह खेल मुझे बहुत अधिक प्रिय है।