Give me good poem on summer season in hindi fast don't waste time
Answers
Answered by
12

Homepage
Poem (कविता)
dev2 in Poem (कविता)
गर्मी पर कविता – Summer Season Poems in Hindi – ग्रीष्म ऋतु – गर्मी का मौसम

गर्मी या ग्रीष्म ऋतू हर साल बसंत के खत्म होने के बाद शुरू हो जाती है तथा इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार यह अप्रैल माह के बाद से शुरू हो जाते है | ग्रीष्म ऋतू में छोटे बच्चो की स्कूलों की छुट्टी हो जाती है और बच्चे बड़े आनंद से उन छुट्टियों को मनाते है और बहुत ही अच्छे तरीके से इस ऋतू को मनाते है | इसके लिए हमारे कई महान कवियों ने गर्मी के कुछ बेहतरीन कविताये लिखी है अगर आप उन कविताओं को जानना चाहते है तो इसके लिए आप हमारी इस पोस्ट के माध्यम से जान सकते है |
गर्मी के मौसम पर कविताएं
अगर आप गर्मी आई के लिए गर्मी की छुट्टी पर कविता, गर्मी के मौसम पर कविता, गर्मियों पर कविता, garmi ऋतु पर कविता, मौसम पर कविताएं, कविता गर्मी, ग्रीष्म ऋतु कविता, सर्दी पर कविता, summer poems in hindi for class 6, summer vacations poems in hindi, some love poems in hindi, poems on summer season in hindi language, summer poems in hindi language तथा 2 poems on summer season in hindi के बारे में जानने के लिए आप जानकारी यहाँ से जान सकते है :
कपड़े सूख रहे हैं
हज़ारों-हज़ार
मेरे या न जाने किस के कपड़े
रस्सियों पर टँगे हैं
और सूख रहे हैं
मैं पिछले कई दिनों से
शहर में कपड़ों का सूखना देख रहा हूँ
मैं देख रहा हूँ हवा को
वह पिछले कई दिनों से कपड़े सुखा रही है
उन्हें फिर से धागों और कपास में बदलती हुई
कपड़ों को धुन रही है हवा
कपड़े फिर से बुने जा रहे हैं
फिर से काटे और सिले जा रहे हैं कपड़े
आदमी के हाथ
और घुटनों के बराबर
मैं देख रहा हूँ
धूप देर से लोहा गरमा रही है
हाथ और घुटनों को
बराबर करने के लिए
कपड़े सूख रहे हैं
और सुबह से धीरे-धीरे
गर्म हो रहा है लोहा।
गर्मी पर बाल कविता
तपा अंबर
झुलस रही क्यारी
प्यासी है दूब।
सुलगा रवि
गरमी में झुलसे
दूब के पांव।
काटते गेहूं
लथपथ किसान
लू की लहरी।
रूप की धूप
दहकता यौवन
मन की प्यास।
डूबता वक्त
धूप के आईने में
उगता लगे।
सूरज तपा
मुंह पे चुनरिया
ओढ़े गोरिया।
प्यासे पखेरू
भटकते चौपाये
जलते दिन।
खुली खिड़की
चिलचिलाती धूप
आलसी दिन।
सूखे हैं खेत
वीरान पनघट
तपती नदी।
बिकता पानी
बढ़ता तापमान
सोती दुनिया।
ताप का माप
ओजोन की परत
हुई क्षरित।
जागो दुनिया
भयावह गरमी
पेड़ लगाओ।
सुर्ख सूरज
सिसकती नदियां
सूखते ओंठ।
जलते तृण
बरसती तपन
झुलसा तन।
तपते रिश्ते
अंगारों पर मन
चलता जाए।
दिन बटोरे
गरमी की तन्हाई
मुस्काई शाम।
Short Summer Poems in Hindi – गर्मी पर छोटी कविता
गर्मी आई गर्मी आई,
धूप पसीना लेकर आई।
सूरज सिर पर चढ़ आता है,
अग्नि के बम बरसाता है।
मुझे नहीं यह बिलकुल भाई।
गर्मी आई गर्मी आई।
चलो बरफ के गोले खाएं,
ठेले से अंगूर ले आएं।
मम्मी दूध मलाई लाई।
गर्मी आई गर्मी आई।

Garmi Par Kavita in Hindi
गर्मी का मौसम है आया
सबको इसने बहुत सताया,
आसमान से आग है बरसे
सूरज ने फैलाई माया।
कूलर, पंखे, ए.सी. चलते
दिन भी न अब जल्दी ढलते,
पल भर में चक्कर आ जाते
थोड़ी दूर जो पैदल चलते।
जून का है जो चढ़े महीना
टप टप टप टप बहे पसीना,
खाने का कुछ दिल न करता
मुश्किल अब तो हुआ है जीना।
सूखा है जल नदियों में
पंछी है प्यासा भटक रहा,
कहीं छाँव न मिलती है उसको
देखो खम्भे पर लटक रहा।
कुल्फी वाला जब आता है
हर बच्चा शोर मचाता है,
खाते हैं सब बूढ़े बच्चे
दिल को ठंडक पहुंचाता है।
सूनी गलियां हो जाती हैं
जब सूर्या शिखर पर होता है,
रात को जब बली गुल हो
तो कौन यहाँ पर सोता है?
न जाने ये है कहाँ से आया
हमने तो इसको न बुलाया,
परेशान इससे सब हैं
ये किसी के भी न मन को भाया।
गर्मी का मौसम है आया
सबको इसने बहुत सताया,
आसमान से आग है बरसे
सूरज ने फैलाई माया।
Summer Vacation Poems in Hindi – Poem on Summer Vacation in Hindi
बचपन में देखा कि
गर्मी ऊन में होती है,
स्कूल में पता चला
कि गर्मी जून में होती है,
पापा ने बताया कि
गर्मी खून में होती है,
बहुत जिन्दगी में थपेड़े खाये
तब पता चला कि
गर्मी न खून, न जून, न ऊन में होती है,
जनाब,
गर्मी तो जुनून में होती है।
Short Poems in Hindi on Summer Season
कम करती है गर्मी की मनमानी को
गहराई ज़िन्दा रखती है पानी को
दूरी आंधी बर्फ़ धूप की बाधाएँ
रोक नहीं सकती सच्चे सैलानी को
याद नहीं रहते या याद नहीं रखते
लोग आजकल संबंधों के मानी को
वाणी द्वारा कम आँखों द्वारा ज़्यादा
व्यक्त किया उसने अपनी हैरानी को
प्रजातंत्र में भी बच्चों के किस्से ही
ज़िंदा रखते हैं राजा या रानी को
लोग आंकड़ों को ही ज्ञान समझ बैठे
कम्प्यूटर जैसा कुछ समझे ज्ञानी को
क्या भूलूँ क्या याद करूँ की उलझन में
अलबम रखते हैं हम याद-दहानी को

Summer Holidays Poems in Hindi – गर्मी की छुट्टियों पर कविता
गरमी भारी
चैन न मिलता
चुभे लपट
बन तीर।
बंदर से
बोली घरवाली
चलो चलें कश्मीर।
तन से बहे पसीना खारी
क्या होगा ओ राम।
बोला गीदड़ आग लगी हैकहां करें विश्राम॥
भालूजी की गले की हड्डी
बनी रजाई खूब।
नहीं हटाई जाती तन से
गरमी लाती ऊब॥
कौआ कांव-कांव चिल्लाता
नहीं घड़े में नीर।
कंकड़ डाल-डाल के हारा
छूटा मन का धीर॥
गधेमलजी मस्त हुए हैं
रोज लगाते लोट।
कहते लोग व्यर्थ चिल्लाते
गरमी के मन खोट॥
Similar questions