Biology, asked by Anonymous, 2 months ago

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Answered by Anonymous
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भारत में हर व्यक्ति के पास एक से अधिक पहचान है। यहां की संस्कृति में धर्म, जाति, क्षेत्र और पेशे की विविधताओं के बावजूद सबको एक सूत्र में बांधने की शक्ति है। अनेकता में एकता की यही विशेषता हमें खास बनाती है। ये बातें शनिवार को बीएचयू के सामाजिक विज्ञान संकाय में ‘भारत में बहुअस्मिता की मान्यता’ विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर कुलाधिपति डॉ. कर्ण सिंह ने कहीं। आयोजन मालवीय शांति अनुसंधान केंद्र, यूनेस्को शांति एवं अंतर-सांस्कृतिक सहमति पीठ और ओस्लो पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से किया गया।

उन्होंने कहा कि मैं कश्मीर की हूं, डोगरा हूं, हिंदू, भारतीय हूं, ग्लोबल सिटीजन और पेशेवर व्यक्ति हूं। इस तरह की एक से अधिक पहचान सभी लोगों में है। उन्होंने कहा कि काशी में सभी समाज के लोग रहते हैं। वे काशी के निवासी भी हैं और अपनी-अपनी संस्कृति के प्रतिनिधि भी। यह शहर हिंदुस्तान की ही तरह कई विविधताओं को अपने में समेटे हुए है। हिंदू संस्कृति में सबको समाहित करने की शक्ति है और इसमें किसी की पहचान को किसी तरह का खतरा नहीं है।


Anonymous: Thanks bhai mera yahi question ka answer hai
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