Hindi, asked by Anonymous, 1 year ago

give me summary for chapter Harihar kaka........ ​

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Answered by MahatmaGandhi11
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निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर आप पाठ का सारांश लिखने का प्रयास करें -

 

•    लेखक और हरिहर काका के बीच संबंध।

•    लेखक के गाँव की विशेषताएँ।

•    गाँव के ठाकुरबारी का वर्णन।

•    गाँव के लोगों का ठाकुरबारी से संबंध।

•    हरिहर काका का परिवार में परिवार में उनकी स्थिति।

•    घर में मेहमान के आने पर हरिहर काका के साथ घरवालों का दुर्व्यवहार। काका का    क्रोधित होना।

•    महंत का हरिहर काका को अपने ज़ाल में फाँसने की कोशिश करना। ।

•    हरिहर काका का असमंजस में पड़ना।

•    ठाकुरबारी में हरिहर काका की खातिरदारी।

•    हरिहर काका के भाइयों की चिंता।

•    घर में हरिहर काका के साथ अच्छा व्यवहार।

•    महंत के द्वारा हरिहर काका का अपहरण।

•    ठाकुरबारी में हरिहर काका के सा्थ दुर्व्यवहार।

•    महंत और पुजारी आदि की कलई खुलना।

•    भाइयों के द्वारा हरिहर काका की सुरक्षा।

•    हरिहर काका का संपत्ति किसी को न देने की इच्छा प्रकट करना।

•    भाइयों का संपत्ति हथियाने के लिए हरिहर काका पर दबाव।

•    भाइयों के द्वारा हरिहर को मारना-पीटना।

•    हरिहर काका का घर से अलग रहना।

•    बाहरी व्यक्तियों के द्वारा ज़मीन हथियाने के लिए काका को समझाना।

•    हरिहर काका के मामले को लेकर गाँव वालों के बीच बहस।

•    महंत और हरिहर काका के भाइयों के द्वारा ज़मीन हथियाने की तैयारी।

•    हरिहर काका का बीमारी की हालत में मौन हो जाना।

Answered by kingsarthak123
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Answer:

कथा वाचक और हरिहर काका की

उम्र में काफी अंतर होने के बावजूद वह उनका पहला मित्र था। महंत और हरिहर काका के

भाई ने अपना लक्ष्य साधने के लिए हरिहर काका के साथ बुरा व्यवहार करा। हरिहर काका

अनपढ़ थे पर उनको दुनिया की बेहतर समझ थी। उन्होंने अपने अनुभव से सीखा था कि

संपत्ति छिन जाने के बाद व्यक्ति की बड़ी दुर्दशा होती है। वे अनेक लोगों के बारे

में जानते थे जिनकी संपत्ति अपने नाम लिखवाने के बाद उनके घर वालों ने उनकी हालत

कुत्ते से भी बत्तर कर दी थी। इसलिए उन्होंने तय कर लिया था कि जीते जी वे अपनी

जायदाद किसी के नाम नहीं लिखेंगे।

     ठाकुरबारी की घटना के बाद उन्हें पता चल

गया कि कोई उन्हें मार नहीं सकता था, सिर्फ धमका सकता था। इसलिए उन्हें मृत्यु का

भय नहीं था और उन्होंने अपने भाइयों को इस बात के बारे में चुनौती भी दी थी।  

     हरिहर काका को जब यह असलियत पता चली कि सब

लोग उनकी जायदाद के पीछे पड़े हैं तो उन्हें उन सब लोगों की याद आई जिन्होंने अपने

परिवार के मोह में आकर अपनी जमीन उनके नाम कर दी थी और अपने अंतिम दिन तक कष्ट

भोगते रहे। वे लोग भोजन तक के लिए तरसते रहे। इसलिए उन्होंने सोचा कि ऐसा जीवन

व्यतीत करने से तो एक बार मरना अच्छा है। उन्होंने तय किया कि जीते जी किसी को

जमीन नहीं देंगे। वे मरने को तैयार थे। इसीलिए लेखक कहते हैं कि अज्ञान की स्थिति

में मनुष्य मृत्यु से डरता है परन्तु ज्ञान होने पर मृत्यु वरण को तैयार रहता

है।  

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