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. वैज्ञानिक अनुसंधानों एवं औद्योगिक प्रगति के पूर्व के मनोरंजन एवं आज के युग में उपलब्ध मनोरंजन में तथा इससे संबंधित हमारी आवश्यकताओं एवं अभिरुचि में बहुत अधिक अंतर आ गया है। पहले मनोरंजन का उद्देश्य मात्र मनोरंजन होता था और यह प्रक्रिया धार्मिक एवं सामाजिक भावों से संलग्न थी। ऐसा मनोरंजन व्यक्तित्व के गठन एवं स्वस्थ दृष्टिकोण के उन्नयन में सहायक होता था किंतु आज इसका महत्त्वपूर्ण उद्देश्य ‘अर्थप्राप्ति’ हो गया है।
संभवतः इसी कारण मनोरंजन का स्वरूप पूर्णतः बदल गया है। आधुनिक परिवेश में मनोरंजन का जो भी रूप उपलब्ध है, वह हमारे व्यक्तित्व के गठन पर कुठाराघात करता है, आदर्शों को झुठलाता है, अस्वस्थ अभिरुचि एवं दृष्टिकोण को प्रोत्साहन देता है या जीवन के सब्जबाग दिखाता है जो जीने योग्य नहीं है। यह रूप व्यक्ति, समाज और विशेषकर हमारी भावी पीढ़ी को भ्रमित कर रहा है।
मनोरंजन से संबद्ध विभिन्न संस्थाएँ-अभद्र सिनेमा नृत्यशालाएँ, फ़ैशन परेड आदि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति एवं समाज के जीवन को विकृत कर रहे हैं। बड़े-बड़े नगरों की नृत्यशालाओं एवं नाइट क्लबों में मनोरंजन के नाम पर जो गतिविधियाँ संपन्न होती हैं वे तथाकथित आधुनिक एवं प्रगतिशील विचारधारा से भले ही समर्थित हों, किंतु स्वस्थ भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार तो वे पश्चिमी देशों की अंधी नकल ही हैं।
इनके समर्थक यह भूल जाते हैं कि उनका मानसिक गठन, संस्कार, रीति-रिवाज तथा जीवन-पद्धति पश्चिमी देशों से एकदम भिन्न है। इस प्रकार देश में मनोरंजन के नाम पर जो भी भौंडापन उपलब्ध है-वह विघटन का स्रोत है, विकारों का जनक है एवं क्षयग्रस्त जीवन का पर्याय है।
1.वैज्ञानिक प्रगति से पूर्व और बाद के मनोरंजन के स्वरूप और हमारी सोच में मूल अंतर क्या है?
2.आधुनिक मनोरंजन जीवन को कैसे प्रभावित कर रहा है?
3. कैसे कहा जा सकता है कि मनोरंजन का एक विशेष स्वरूप भावी पीढ़ी को भ्रमित कर रहा है?
4. पश्चिमी देशों का अंधानुकरण किसे कहा है और क्यों?
5. मनोरंजन के नाम पर ‘भौंडापन’ किसे कहा गया है? उसके क्या परिणाम हुए हैं?
6. गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
Answers
वैज्ञानिक अनुसंधानों एवं औद्योगिक प्रगति के पूर्व के मनोरंजन एवं आज के युग में उपलब्ध मनोरंजन में तथा इससे संबंधित हमारी आवश्यकताओं एवं अभिरुचि में बहुत अधिक अंतर आ गया है। पहले मनोरंजन का उद्देश्य मात्र मनोरंजन होता था और यह प्रक्रिया धार्मिक एवं सामाजिक भावों से संलग्न थी। ऐसा मनोरंजन व्यक्तित्व के गठन एवं स्वस्थ दृष्टिकोण के उन्नयन में सहायक होता था किंतु आज इसका महत्त्वपूर्ण उद्देश्य ‘अर्थप्राप्ति’ हो गया है।
संभवतः इसी कारण मनोरंजन का स्वरूप पूर्णतः बदल गया है। आधुनिक परिवेश में मनोरंजन का जो भी रूप उपलब्ध है, वह हमारे व्यक्तित्व के गठन पर कुठाराघात करता है, आदर्शों को झुठलाता है, अस्वस्थ अभिरुचि एवं दृष्टिकोण को प्रोत्साहन देता है या जीवन के सब्जबाग दिखाता है जो जीने योग्य नहीं है। यह रूप व्यक्ति, समाज और विशेषकर हमारी भावी पीढ़ी को भ्रमित कर रहा है।
मनोरंजन से संबद्ध विभिन्न संस्थाएँ-अभद्र सिनेमा नृत्यशालाएँ, फ़ैशन परेड आदि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति एवं समाज के जीवन को विकृत कर रहे हैं। बड़े-बड़े नगरों की नृत्यशालाओं एवं नाइट क्लबों में मनोरंजन के नाम पर जो गतिविधियाँ संपन्न होती हैं वे तथाकथित आधुनिक एवं प्रगतिशील विचारधारा से भले ही समर्थित हों, किंतु स्वस्थ भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार तो वे पश्चिमी देशों की अंधी नकल ही हैं।
इनके समर्थक यह भूल जाते हैं कि उनका मानसिक गठन, संस्कार, रीति-रिवाज तथा जीवन-पद्धति पश्चिमी देशों से एकदम भिन्न है। इस प्रकार देश में मनोरंजन के नाम पर जो भी भौंडापन उपलब्ध है-वह विघटन का स्रोत है, विकारों का जनक है एवं क्षयग्रस्त जीवन का पर्याय है।
★ANswer :
(क) वैज्ञानिक प्रगति से पूर्व और बाद के मनोरंजन के स्वरूप और हमारी सोच में मूल अंतर क्या है?
➳ वैज्ञानिक प्रगति से पूर्व और बाद के मनोरंजन के स्वरूप और हमारी सोच में यह मूल परिवर्तन आया है कि पहले मनोरंजन का उद्देश्य केवल मनोरंजन था, परंतु आज इसका उद्देश्य धन कमाना भी हो गया है।
(ख) आधुनिक मनोरंजन जीवन को कैसे प्रभावित कर रहा है?
➳ आधुनिक मनोरंजन आदर्शों को झुठलाकर अस्वस्थ अभिरुचि व दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। यह ऐसे जीवन के सब्जबाग दिखाता है जो जीने योग्य नहीं है।
(ग) कैसे कहा जा सकता है कि मनोरंजन का एक विशेष स्वरूप भावी पीढ़ी को भ्रमित कर रहा है?
➳ आज मनोरंजन से संबद्ध अनेक संस्थाएँ जैसे; अभद्र सिनेमा, नृत्यशालाएँ, फैशन परेड आदि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति व समाज के जीवन को विकृत कर रहे हैं। अस्वस्थ अभिरुचि व दृष्टिकोण को बढ़ाने वाला यह मनोरंजन भावी पीढ़ी को भ्रमित कर रहा है।
(घ) पश्चिमी देशों का अंधानुकरण किसे कहा है और क्यों?
➳ लेखक कहता है कि महानगरों की नृत्यशालाएँ, नाइटक्लब, पश्चिमी देशों का अंधानुकरण है। इनमें मनोरंजन के नाम गलत गतिविधियाँ संपन्न होती हैं।
(ङ) मनोरंजन के नाम पर ‘भौंडापन’ किसे कहा गया है? उसके क्या परिणाम हुए हैं?
➳ मनोरंजन के नाम पर भौंडापन अभद्र सिनेमा, फैशन परेड, नाइटक्लब, नृत्यशालाओं द्वारा प्रस्तुत गतिविधियों में दिखता है। इनका गठन, संस्कार, रीतिरिवाज तथा जीवन पद्धति भारत से अलग है। यह भौंडापन विघटन का स्रोत है, विकारों का जनक है तथा क्षयग्रस्त जीवन का स्रोत है।
(च) गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
➳ शीर्षक-मनोरंजन पर पाश्चात्य प्रभाव।
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