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Answer:
सदियों से, मानव समाज में पुरुषों और महिलाओं का समावेश है. दोनों के दान के माध्यम से, समाज हमेशा समृद्ध रहा है. महिलाएं समाज को रसदार, सुंदर और दिलचस्प बनाने के लिए पुरुषों के साथ समान रूप से काम करती हैं. केवल पुरुषों और महिलाओं के समन्वय में मानव समाज की आत्म अभिव्यक्ति है. समाज की भलाई के लिए, पारिवारिक जीवन की महानता और दुनिया की भलाई के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सद्गुणों के योगदान को स्वीकार किया जाता है. महिलाओं के बिना समाज की समग्र बेहतरी की कल्पना नहीं की जा सकती है. व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में, महिलाओं के कई उदाहरण हैं जो पुरुषों के बराबर हैं और मानव समाज के लिए अंतहीन कल्याण कर रहे हैं. महिलाओं को सिर्फ सुख का साधन मानना या उन्हें कमजोर समझना महिला जाति के लिए बेहद अवमानना का उदाहरण है. महिलाएं सेवा और बलिदान का प्रतीक हैं. इस अर्थ में, वह हमेशा विनम्र, चिरस्थायी है. नारी जाति की उन्नति के बिना परिवार, राष्ट्र या मानव समाज का विकास असंभव है.
हमारे समाज में नारी की भूमिका
भारत दुनिया का एकमात्र देश है जो अपनी संस्कृति में महिलाओं के लिए उच्च सम्मान रखता है. नारी नारायणी, वह शक्तिशाली है. समाज के लाभ के लिए महिलाएं विभिन्न तरीकों से खुद को प्रकट करती हैं. जब महिषासुर की मृत्यु और रावण के विनाश के लिए पुरुष शक्ति पराजित होती है, उस समय नारी शक्ति का उदय और विजय संभव हुआ है. इसलिए, महिलाएं कमजोर नहीं हैं, वे अनंत, शक्तिशाली हैं. महिलाएं शुद्धता, सहिष्णुता, क्षमा और सार्वभौमिकता की अधिकारी हैं. वैदिक काल में, महिलाएं भी वैदिक मंत्र की अग्रदूत थीं.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कस्तूरबा, कमला नेहरू और विजयलक्ष्मी पंडित की भूमिका अविस्मरणीय है. सरोजिनी नायडू, कुन्तला कुमारी