Give the definitions of all 9 ras with examples
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रस की परिभाषासामान्यत: रस पीने या चखने की चीज़ है। जिस तरह रस-पान से हमारी सामान्य दैहिक पिपासा शान्त होती है, ठीक उसी तरह साहित्यिक रस-पान से हमारी आत्मिक या मानसिक पिपासा शान्त होती है। साहित्यिक रस-पान देखकर , सुनकर और पढ़कर किया जाता है। रस काव्य या साहित्य की आत्मा है।
साहित्य या काव्य को पढ़ते या सुनते समय हमें जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे ही रस कहा जाता है ।
इनकी संख्या ११ है :--
शृंगार , हास्य , रौद्र , करुण , वीर , अदभुत ,वीभत्स , भयानक , शान्त , वात्सल्य , भक्ति ।
परन्तु; जिस प्रकार जिह्वा के बिना रस का आस्वादन नहीं किया जा सकता ,ठीक उसी प्रकार स्थायी भाव के बिना साहित्य के रस का आस्वादन नहीं किया जा सकता है।
स्थायी भावहमारे हृदय में सदा - सर्वदा से विराजित रहने वाले भाव जिनसे हम अपनी भावनाएँ प्रकट कर सकने में समर्थ होते हैं, वे स्थाई भाव कहलाते हैं।ये भाव हमारे भीतर जन्म से होते हैं और मृत्यु पर्यन्त रहते हैं। समय और परिस्थिति के अनुरूप ये स्वत: प्रकट होते रहते हैं ; अत: इन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
स्थायी भावों की संख्या ११ मानी गई हैं :--
रति, हास , क्रोध , शोक , उत्साह , विस्मय जुगुप्सा (घृणा) , भय,
निर्वेद (शम) , सन्तान के प्रति प्रेम , भगवान के प्रति प्रेम ।
रस और उनके स्थायी भाव , देवता तथा रंग :--
रस - स्थायी भाव - देवता - रंग
१ - शृंगार - रति - विष्णु - श्याम
२ - हास्य - हास - प्रमथ - सित
३ - रौद्र - क्रोध - रुद्र - रक्त
४ - करुण - शोक - यमराज - कपोत
५ - वीर - उत्साह - इंद्र - गौर
६ - अदभुत - विस्मय - ब्रह्मा - पीत
७ - वीभत्स - जुगुप्सा (घृणा) - महाकाल - नील
८ - भयानक - भय - कालदेव - कृष्ण
९ - शान्त - निर्वेद (शम) - नारायण - कुंदेंदु
१० - वात्सल्य - सन्तान - प्रेम - -- - --
११ - भक्ति - भगवत् - प्रेम - -- - --
साहित्य या काव्य को पढ़ते या सुनते समय हमें जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे ही रस कहा जाता है ।
इनकी संख्या ११ है :--
शृंगार , हास्य , रौद्र , करुण , वीर , अदभुत ,वीभत्स , भयानक , शान्त , वात्सल्य , भक्ति ।
परन्तु; जिस प्रकार जिह्वा के बिना रस का आस्वादन नहीं किया जा सकता ,ठीक उसी प्रकार स्थायी भाव के बिना साहित्य के रस का आस्वादन नहीं किया जा सकता है।
स्थायी भावहमारे हृदय में सदा - सर्वदा से विराजित रहने वाले भाव जिनसे हम अपनी भावनाएँ प्रकट कर सकने में समर्थ होते हैं, वे स्थाई भाव कहलाते हैं।ये भाव हमारे भीतर जन्म से होते हैं और मृत्यु पर्यन्त रहते हैं। समय और परिस्थिति के अनुरूप ये स्वत: प्रकट होते रहते हैं ; अत: इन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
स्थायी भावों की संख्या ११ मानी गई हैं :--
रति, हास , क्रोध , शोक , उत्साह , विस्मय जुगुप्सा (घृणा) , भय,
निर्वेद (शम) , सन्तान के प्रति प्रेम , भगवान के प्रति प्रेम ।
रस और उनके स्थायी भाव , देवता तथा रंग :--
रस - स्थायी भाव - देवता - रंग
१ - शृंगार - रति - विष्णु - श्याम
२ - हास्य - हास - प्रमथ - सित
३ - रौद्र - क्रोध - रुद्र - रक्त
४ - करुण - शोक - यमराज - कपोत
५ - वीर - उत्साह - इंद्र - गौर
६ - अदभुत - विस्मय - ब्रह्मा - पीत
७ - वीभत्स - जुगुप्सा (घृणा) - महाकाल - नील
८ - भयानक - भय - कालदेव - कृष्ण
९ - शान्त - निर्वेद (शम) - नारायण - कुंदेंदु
१० - वात्सल्य - सन्तान - प्रेम - -- - --
११ - भक्ति - भगवत् - प्रेम - -- - --
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9 ras
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A british colony was established in natal in south africa. Durban was the largest city in natal. The chief sea-port in natal was called port natal, but under which name was it generally known all over south africa
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