Hindi, asked by rend0sshaSwe, 1 year ago

Global warming par 300 words ka nibandh

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Answered by tejasmba
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ग्लोबल वार्मिंग

हम सबने ग्लोबल वार्मिंग के बारे में काफी सुना है। ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है वातावरण में तापमान का बढ़ना मतलब वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा का अधिक होना। इस बढ़ते तापमान की वजह से समुद्र जल स्तर का बढ़ना, बाढ़, तूफान, खाद्य पदार्थों की कमी, तमाम तरह की बीमारियाँ आदि का खतरा बढ़ जाता है। धरती पर घटती पेड़ों की संख्या की वजह से कार्बन डाइआक्साइड का स्तर बढ़ता है, इस हानिकारक गैसों को इस्तेमाल करने के लिये पेड़-पौधे ही मुख्य श्रोत होते हैं। ऐसा आकलन किया गया है कि अगले कुछ वर्षों में धरती का तापमान इतना बढ़ जायेगा कि जीवन के लिये इस धरती पर कई सारी मुश्किलें खड़ी हो जाएगी।

ग्लोबल वार्मिंग का एक और मुख्य कारण है वायु प्रदूषण। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा बहुत बढ़ गई है । यही सूर्य की गर्मी को वापिस जाने से रोकती है । इसी कारण भूमंडल का तापमान बढ़ता जा रहा है। ओजोन की परत सूर्य और पृथ्वी के बीच कवच की तरह काम करती है । बढ़ते प्रदूषण ने उसी परत में छेद कर दिया है ।

अनेक उद्योगों की स्थापना, चिमनियों से निकलने वाला धुआँ, पर्यावरण में बढ़ता वायु प्रदूषण, वृक्षों की कटाई आदि इस समस्या को और विकट बनाते जा रहे हैं ।

ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से उबरना बहुत आवश्यक है । इसके लिए ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग से बचना होगा । हरियाली को बढ़ाना होगा। अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे। धरती को हरा- भरा रखना होगा।

इस समस्या के समाधान के लिए हम सबको एकजुट होना होगा। हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिये पेड़-पौधे ही उत्तम विकल्प है। अधिक से अधिक वृक्ष लगाने होंगे जो कार्बन डाइऑक्साइड शोषित करके, ऑक्सीजन  विसर्जित करके, ऑक्सीजन की मात्रा वायुमंडल में बढ़ा सकें।  धुआं, निकलने वाली मशीनों का प्रयोग बंद करके प्राकृतिक गैस जैसे सीएनजी, सौर ऊर्जा आदि से चलने वाले उपकरणों का अधिक प्रयोग करना होगा।

ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को खत्म करने के लिये वनों की कटाई को रोकना होगा तथा अधिक पेड़ लगाने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना होगा जिससे हमें ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम करने में सफलता मिल सकती है। पूरे विश्व में जनसंख्या विस्फोट को भी रोकने की आवश्यकता है क्योंकि इससे धरती पर विनाशकारी तकनीकों का इस्तेमाल कम होगा।

ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे लिये किसी एक व्यक्ति को दोष नहीं दिया जा सकता बल्कि पूरी मानव जाति इसके लिये जिम्मेदार है। और इसका समाधान भी मिल जुलकर ही संभव है।
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