global warming - samasya aur samadhan par nibandh
Answers
धरती पर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का मुख्य कारण CO2 और मिथेन जैसे ग्रीनहाउस गैस है, जिसका सीधा प्रभाव समुद्र जल स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना, अप्रत्याशित वायुमंडलीय परिवर्तन जो धरती पर जीवन की संभावानाओं को प्रदर्शित करता है। आँकड़ों के अनुसार, 20वीं सदी के मध्य से ही धरती का तापमान निरंतर बढ़ रहा है और इसका मुख्य कारण लोगों के जीवन शैली में बदलाव से है।
1983,1987,1988,1989 और 1991 बीती सदी का सबसे का गर्म साल रहा। इसके लगातार बढ़ने से धरती पर बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूस्खलन, सुनामी, महामारी आदि जैसे प्रकोप जीवन के लिये खतरा पैदा हो कर रहें हैं जो प्रकृति के असंतुलन को दिखाती है।
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जल का वाष्पीकरण वातावरण में हो जाता है, जिसकी वजह से ग्रीनहाउस गैस बनता है और जिसके कारण फिर से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ता है। दूसरी क्रियांएँ जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाना, खादों का इस्तेमाल, CFCs जैसे गैसों में वृद्धि, ट्रौपोसफेरिक ओजोन और नाईट्रस ऑक्साइड भी ग्लोबल वार्मिंग के लिये जिम्मेदार है। इसके बढ़ने का मौलिक कारण तकनीकी उन्नति, जनसंख्या विस्फोट, औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, और शहरीकरण आदि है।
अत्यधिक वन-कटाई से हम प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे है साथ ही तकनीकी उन्नति जैसे ग्लोबल कार्बन साईकिल ओजोन परत में छेद कर रहे है और इससे अल्ट्रावॉयलेट किरणों को धरती पर आसानी से आने का मौका मिल रहा है जो ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ौतरी का कारण बन रही है। हवा से कॉर्बनडाई ऑक्साइड को हटाने के लिये पेड़-पौधे सर्वश्रेठ विकल्प है अत: वनों की कटाई को रोकना होगा तथा ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को खत्म करने के लिये पेड़ों को लगाने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना होगा जिससे हमे इसके खतरे को कम करने में हमें बड़े स्तर की सफलता मिल सकती है। पूरे विश्व में जनसंख्या विस्फोट को भी रोकने की आवश्कता है क्योंकि इससे धरती पर विनाशकारी तकनीकों का इस्तेमाल कम होगा।
Answer:
उत्तर
ग्लोबल वार्मिंग के रुप में आज हम लोग एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहे है जिसका हमें स्थायी समाधान निकालने की जरुरत है। असल में, धरती के सतह के तापमान में लगातार और स्थायी वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग है। इसके प्रभाव को खत्म करने के लिये पूरे विश्व को व्यापक तौर पर चर्चा करने की जरुरत है। इससे दशकों से धरती की आबोहवा और जैव-विविधता प्रभावित हो रहा है।
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धरती पर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का मुख्य कारण CO2 और मिथेन जैसे ग्रीनहाउस गैस है, जिसका सीधा प्रभाव समुद्र जल स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना, अप्रत्याशित वायुमंडलीय परिवर्तन जो धरती पर जीवन की संभावानाओं को प्रदर्शित करता है। आँकड़ों के अनुसार, 20वीं सदी के मध्य से ही धरती का तापमान निरंतर बढ़ रहा है और इसका मुख्य कारण लोगों के जीवन शैली में बदलाव से है।
1983,1987,1988,1989 और 1991 बीती सदी का सबसे का गर्म साल रहा। इसके लगातार बढ़ने से धरती पर बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूस्खलन, सुनामी, महामारी आदि जैसे प्रकोप जीवन के लिये खतरा पैदा हो कर रहें हैं जो प्रकृति के असंतुलन को दिखाती है।
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जल का वाष्पीकरण वातावरण में हो जाता है, जिसकी वजह से ग्रीनहाउस गैस बनता है और जिसके कारण फिर से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ता है। दूसरी क्रियांएँ जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाना, खादों का इस्तेमाल, CFCs जैसे गैसों में वृद्धि, ट्रौपोसफेरिक ओजोन और नाईट्रस ऑक्साइड भी ग्लोबल वार्मिंग के लिये जिम्मेदार है। इसके बढ़ने का मौलिक कारण तकनीकी उन्नति, जनसंख्या विस्फोट, औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, और शहरीकरण आदि है।
अत्यधिक वन-कटाई से हम प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे है साथ ही तकनीकी उन्नति जैसे ग्लोबल कार्बन साईकिल ओजोन परत में छेद कर रहे है और इससे अल्ट्रावॉयलेट किरणों को धरती पर आसानी से आने का मौका मिल रहा है जो ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ौतरी का कारण बन रही है। हवा से कॉर्बनडाई ऑक्साइड को हटाने के लिये पेड़-पौधे सर्वश्रेठ विकल्प है अत: वनों की कटाई को रोकना होगा तथा ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को खत्म करने के लिये पेड़ों को लगाने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना होगा जिससे हमे इसके खतरे को कम करने में हमें बड़े स्तर की सफलता मिल सकती है। पूरे विश्व में जनसंख्या विस्फोट को भी रोकने की आवश्कता है क्योंकि इससे धरती पर विनाशकारी तकनीकों का इस्तेमाल कम होगा।