global warming vishay par lagbhag 200 se 250 shabdo mein nibandh likhiye - hindi
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Explanation:
पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के सतह पर निरंतर तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग है। ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान सकारात्मक शुरूआत के साथ करना चाहिए। पृथ्वी का बढ़ता तापमान विभिन्न आशंकाओं (खतरों) को जन्म देता है, साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के लिए संकट पैदा करता है। यह क्रमिक और स्थायी रूप से पृथ्वी के जलवायु में परिवर्तन उतपन्न करता है तथा इससे प्रकृति का संतुलन प्रभावित होता है।
वातावरण पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का हानिकारक प्रभाव
पृथ्वी पर CO2 में वृद्धि से, निरंतर ऊष्मा तरंगों का बढ़ना, गर्म लहरें, तेज तुफान की अचानक घटना, अप्रत्याशित और अनचाहें चक्रवात, ओजोन परत को नुकसान पहुंचना, बाढ़, भारी बारिस, सूखा, भोजन की कमी, बीमारी तथा मृत्यु इत्यादि मानव जीवन पर काफी हद तक प्रभाव डाल रहे हैं। जीवाश्म ईंधन के दोहन, उर्वरकों का उपयोग, वनों को कांटना, बिजली की अत्यधिक खपत, फ्रिज में उपयोग होने वाले गैस इत्यादि के कारणवश वातावरण में CO2 का अत्यधिक उत्सर्जन हो रहा है। आकड़ों के अनुसार, यदि निरंतर बढ़ते CO2 के उत्सर्जन पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह आशंका है की 2020 तक ग्लोबल वार्मिंग में बड़ा उछाल आयेगा जो की पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
Answer:
पृथ्वी के सतह पर औसतन तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान) कहलाता है। ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से मानव प्रेरक कारकों के कारण होता है। औद्योगीकरण में ग्रीन हाउस गैसों का अनियंत्रित उत्सर्जन तथा जीवाश्म ईंधन का जलना ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल में सूर्य की गर्मी को वापस जाने से रोकता है यह एक प्रकार के प्रभाव है जिसे “ग्रीन हाउस गैस प्रभाव” के नाम से जाना जाता है । इसके फलस्वरूप पृथ्वी के सतह पर तापमान बढ़ रहा है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान के फलस्वरूप पर्यावरण प्रभावित होता है अतः इस पर ध्यान देना आवश्यक है।
पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के सतह पर निरंतर तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग है। ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान सकारात्मक शुरूआत के साथ करना चाहिए। पृथ्वी का बढ़ता तापमान विभिन्न आशंकाओं (खतरों) को जन्म देता है, साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के लिए संकट पैदा करता है। यह क्रमिक और स्थायी रूप से पृथ्वी के जलवायु में परिवर्तन उतपन्न करता है तथा इससे प्रकृति का संतुलन प्रभावित होता है।
पृथ्वी पर CO2 में वृद्धि से, निरंतर ऊष्मा तरंगों का बढ़ना, गर्म लहरें, तेज तुफान की अचानक घटना, अप्रत्याशित और अनचाहें चक्रवात, ओजोन परत को नुकसान पहुंचना, बाढ़, भारी बारिस, सूखा, भोजन की कमी, बीमारी तथा मृत्यु इत्यादि मानव जीवन पर काफी हद तक प्रभाव डाल रहे हैं। जीवाश्म ईंधन के दोहन, उर्वरकों का उपयोग, वनों को कांटना, बिजली की अत्यधिक खपत, फ्रिज में उपयोग होने वाले गैस इत्यादि के कारणवश वातावरण में CO2 का अत्यधिक उत्सर्जन हो रहा है। आकड़ों के अनुसार, यदि निरंतर बढ़ते CO2 के उत्सर्जन पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह आशंका है की 2020 तक ग्लोबल वार्मिंग में बड़ा उछाल आयेगा जो की पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
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