Globel warming se bachao par reportaj in hindi
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जैसा कि नाम से ही साफ है, ग्लोबल वार्मिंग धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी है। हमारी धरती प्राकृतिक तौर पर सूर्य की किरणों से उष्मा ( हीट, गर्मी ) प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल ( एटमास्पिफयर) से गुजरती हुईं धरती की सतह (जमीन, बेस) से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित ( रिफलेक्शन) होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश ( मोस्ट आफ देम, बहुत अधिक ) धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण ( लेयर, कवर ) बना लेती हैं। यह आवरण लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब ( इट इस रिकाल्ड, मालूम होना ) है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन ( अधिक मोटा होना) या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव ( साइड इफेक्ट) ।
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