India Languages, asked by Anonymous, 5 months ago

Good evening, This is Unseen Passage in Sanskrit for Class-10...​

Attachments:

Answers

Answered by varadad25
9

Question:

गंद्यांशं पठित्वा अधोदत्तान् प्रश्नान् उत्तरत |

पुरा बलिनामकः एकः महादानी नृपः अभवत् | प्रजायाः कल्याणाय सः सदा संलग्नः आसीत् | एकदा तस्य सभायां वामनः बटुः आगच्छत् | सः नृपं बलिं केवलं त्रीणि पदानि यावत् भूमिम् अयाचत् | नृपः वकर्ष स्वीकृतवान् | तदा वामनः विराड्-रूपेण, द्वाभ्यां पदाभ्याम् एव भूलोकं द्युलोकं च अमात् | तृतीयपदाय किञ्चिदपि शेषं नासीत् | तदा राजा बलिः तस्य अग्रे निजशिरः अकरोत् | तदा वामनः तं पाताललोकं गन्तुम् आदिशत् | नृपः बलिः वामनं प्रार्थयत् यद् अहं प्रतिवर्षं निजं प्रजां द्रष्टुं केरल-प्रदेशम् आगन्तुम् इच्छामि | वामनः तस्मै इदं वरम् अयच्छत् |इयं जन श्रुतिः अस्ति यत् प्रतिवर्षम् ओणं पर्वावसरे नृपः बलिः निज प्रजायाः कुशल-क्षेमं ज्ञातुं केरल-प्रदेशम् आगच्छति |

प्र. 1. एकपदेन उत्तरत | ( एक पद में उत्तर दीजिए | ) Answer in one word.

प्र. 2. पूर्ण वाक्येन उत्तरत | ( पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए | ) Answer in complete sentence.

प्र. 3. यथानिर्देशं उत्तरत | ( यथानिर्देश उत्तर दीजिए | ) Answer as directed.

Answer:

1.

( i ) बलिः कीदृशः नृपः आसीत्?

बलिः महादानी नृपः आसीत् |

( ii ) एकदा तस्य सभायां कः आगतः?

एकदा तस्य सभायां वामनः बटुः आगतः |

─────────────────────

2.

( i ) वामनः नृपं बलिं कुत्र गन्तुम् आदिशत्?

वामनः नृपं बलिं पाताललोकं गन्तुम् आदिशत् |

( ii ) नृपः बलिः वामनं किं प्रार्थयत्?

नृपः बलिः वामनं प्रार्थयत् यद् अहं प्रतिवर्षं निजं प्रजां द्रष्टुं केरल-प्रदेशम् आगन्तुम् इच्छामि |

─────────────────────

3.

( i ) "अमात्" इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?

"अमात्" इति क्रियापदस्य कर्तृपदं "वामनः" इति अस्ति |

( ii ) "पृष्ठे" इत्यस्य किं विलोमपदम् अत्र प्रयुक्तम्?

"पृष्ठे" इत्यस्य "अग्रे" इति विलोमपदम् अत्र प्रयुक्तम् |

( iii ) 'तस्मै इदं वरं........' अत्र "तस्मै" पदं कस्मै प्रयुक्तम्?

'तस्मै इदं वरं........' अत्र "तस्मै" पदं बलिनृपाय प्रयुक्तम् |

( iv ) "त्रीणि" इत्यस्य विशेष्यपदं किम् अस्ति?

"त्रीणि" इत्यस्य विशेष्यपदं "पदानि" इति अस्ति |

Explanation:

प्रस्तुत परिच्छेद में राजा बलि के बारे में बताया गया है | राजा बलि एक महादानी राजा था | उसे किसी भी वस्तु की याचना करने पर, वह उसे दान कर देता था | वह अपनी प्रजा के बारे में जागरूक था | एक दिन भगवान विष्णू वामन का अवतार लेकर राजा बलि के दरबार में आए | उन्होंने बलि राजा को सिर्फ तीन कदम जमीन की याचना की | बलि को यह सोचकर गर्व हो गया की मैं इतना दानी हूँ और लोग मुझसे अमुल्य वस्तू माँगते हैं और यह वामन सिर्फ तीन कदम जमीन माँग रहा है | जब बलि ने भगवान को जमीन देने का मंजूर किया तो भगवान विष्णू ने विराट् रूप धारण कर अपने दोनों पैरों से पृथ्वीलोक और देवलोक नाप लिया | अब तिसरा कदम रखने के लिए जगह नहीं बची थी | तब राजा बलि ने अपना सिर भगवान के सामने झुकाया और भगवान ने अपना तिसरा कदम रखते हुए बलि राजा को पाताललोक में भेज दिया | राजा बलि ने भगवान से हर साल केरल राज्य में अपनी प्रजा को मिलने का वरदान माँगा और तब से केरल के निवासी हर ओणम उत्सव में राजा बलि हमें मिलने आएँगे ऐसी भावना रखने लगे |

इस प्रकार, प्रस्तुत परिच्छेद का अर्थ है |

Answered by FirstNameLastName
1

Dunno whats the matter

Attachments:
Similar questions