goon ka geet
4. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
मेहनत की महिमा घर-घर में हँसती है,
मुक्त सरलता पग-पग यहाँ विचरती है।
साहस के संगी, कष्टों के हमजोली
हर आफ़त इनसे टकराते डरती है।
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kabhi kahana chahta hai ki manat Karan har ghar ghar mein hansta hai aur aur uski ki saral har jagah per II gujarti hai sahas ke sangi aur custom Mai ke hum saya hai aur hura fat in se takrane se darti
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गांव के लोग मेहनत और ईमानदारी के बल बूते खुशी-खुशी जीवन जीते हैं पूरी स्वतंत्रता के साथ घूमते फिरते उठते बैठते और खाते पीते हैं गांव के लोग साहसी होते हैं वह हर मुसीबत कष्ट को झेल कर जीवन जी लेते हैं इसलिए कोई भी आफत आने से इन से डरती है
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