Gopal Das Neeraj ki kavita bheje
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जीवन जहाँ खत्म हो जाता !
उठते-गिरते,
जीवन-पथ पर
चलते-चलते,
पथिक पहुँच कर,
इस जीवन के चौराहे पर,
क्षणभर रुक कर,
सूनी दृष्टि डाल सम्मुख जब पीछे अपने नयन घुमाता !
जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता !
उठते-गिरते,
जीवन-पथ पर
चलते-चलते,
पथिक पहुँच कर,
इस जीवन के चौराहे पर,
क्षणभर रुक कर,
सूनी दृष्टि डाल सम्मुख जब पीछे अपने नयन घुमाता !
जीवन वहाँ ख़त्म हो जाता !
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rahul111137:
ab me dusri ladki ke sath bat karu to mat bolna
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