Gopi Ne Krishna ke janmotsav aur unke Soundarya ka vyapak Prabhav ko kin shabdon Mein varnan Kiya Hai
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FS the last survival of the last survival of the goods and services to the use of the last survival
गोपी ने कृष्णा के जन्मोत्सव और उनके सौंदर्य के व्यापक का वर्णन इस प्रकार किया है,
गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को एक पक्षी के उदाहरण के माध्यम से अभिव्यक्त किया है | गोपियाँ अपने आप को पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की भाँति बताया है। वह पक्षी हमेशा अपने पंजे में कोई लकड़ी अथवा तिनका पकड़े रहता है और उसे किसी भी हालत में पकड़ कर रखता है , इसी प्रकार गोपियाँ ने भी कृष्णा को मन, कर्म और वचन से कृष्ण को अपने ह्रदय में दृढ़ता पूर्वक बसा लिया है। गोपियाँ कृष्णा के जन्मोत्सव के दिन खुब नृत्य करती है और उनके सौंदर्य जैसे रूप में खो जाती है| कृष्णा दिल के बहुत ही साफ और मन को मोह लेने वाले है |
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सूरदास
भ्रमर-गीत
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