Gopi yog ki Vyakhya kis Prakar karti hai
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उद्धव अपने योग के संदेश में मन की एकाग्रता का उपदेश देतें हैं। गोपियों के अनुसार योग की शिक्षा उन्हीं लोगों को देनी चाहिए जिनकी इन्द्रियाँ व मन उनके बस में नहीं होते। जिनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है। परन्तु गोपियों को योग की आवश्यकता है ही नहीं क्योंकि गोपियाँ अपने मन व इन्द्रियाँ तो कृष्ण के अनन्य प्रेम में पहले से ही एकाग्र है। इस प्रकार योग-साधना का उपदेश उनके लिए निरर्थक है।
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गोपियाँ योग साधना को कड़वी ककड़ी मानती है क्योंकि वह केवल प्रेम के मार्ग को जानती हैं।
Explanation:
- गोपियाँ कृष्ण के प्रति अपना अंधा प्रेम अभिव्यक्त करते हुए कहते हैं कि वे जागते समय सोते समय सपनों में दिन और रात उनके रोम-रोम में कृष्ण का नाम जपता है।
- गोपियों का मन श्री कृष्ण में ही लीन रहता है।
- गोपियाँ योग साधना को कड़वी ककड़ी मानती है क्योंकि वह केवल प्रेम के मार्ग को जानती हैं।
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