Hindi, asked by bikashprasad5588, 10 months ago

Gopiyone udhdev ko bdbhanj kaha

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Answered by onikshokeen
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Answer:

dear,

pls add more details as i am unable to understand

thanks

Explanation:

Answered by sonal9023
1

Explanation:

व्याख्या

प्रस्तुत पद में गोपियों ने उदधव के ज्ञान-मार्ग और योग-साधना को नकारते हुए उनकी प्रेम-संबंधी उदासीनता को लक्ष्य कर व्यंग्य किया है साथ ही भक्ति-मार्ग में अपनी आस्था व्यक्त करते हुए कहा है- हे उद्धव जी! आप बड़े भाग्यशाली हैं जो प्रेम के बंधन में नहीं बंधे और न आपके मन में किसी के प्रति कोई अनुराग जगा। जिस प्रकार जल में रहनेवाले कमल के पत्ते पर एक भी बूँद नहीं ठहरती,जिस प्रकार तेल की गगरी को जल में भिगोने पर उस पानी की एक भी बूँद नहीं ठहर पाती,ठीक उसी प्रकार आप श्री कृष्ण रूपी प्रेम की नदी के साथ रहते हुए भी उसमें स्नान करने की बात तो दूर आप पर तो श्रीकृष्ण-प्रेम की एक छींट भी नहीं पड़ी। अत: आप भाग्यशाली नहीं हैं क्योंकि हम तो श्रीकृष्ण के प्रेम की नदी में डूबती-उतराती रहती हैं। हे उद्धव जी! हमारी दशा तो उस चींटी के समान है जो गुड़ के प्रति आकर्षित होकर वहाँ जाती और वहीं पर चिपक जाती है और चाहकर भि अपने को अलग नहीं कर पाती और अपने अंतिम साँस तक बस वहीं चिपके रहती है।

संदेशा

निर्गुण की उपासना के प्रति उद्धव की अनुरक्ति पर व्यंग्य करते हुए गोपियों ने कहना चाहा है कि हम आप जैसे संसार से विरक्त नहीं हो सकते। हम सांसारिक हैं। अत: एक दूजे से प्रेम करते हैं । हमारे मन में कृष्ण की भक्ति और अनुरक्ति है। कृष्ण से अलग हमारी कोई पहचान नहीं। हम अबलाओं के लिए ज्ञान-मार्ग बड़ा कठिन है।

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