Grahak aur dukandar ke beech mol - tol par jhagde par samvad
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ग्राहक : भैया जी नमस्ते, 5 किलो चीनी तौल दीजिये।
दुकानदार : नमस्ते नमस्ते आइये आइये
दुकानदार अपने नौकर से : बिरजू, 5 किलो चीनी दो बाबू जी को।
दुकानदार ग्राहक से : और क्या दूँ आपको???
ग्राहक : बस इसी का बिल बना दीजिये।
दुकानदार : ये लीजिये बिल, 250 रुपये दीजिये।
ग्राहक : 250?? क्या रेट लगाया है आपने??
दुकानदार : हें हें जी चीनी का भाव चढ़ गया है। 50 रू किलो हो गई है।
ग्राहक : क्या बात करते हैं आप! अख़बार में तो सरकार ने लिखा है की चीनी का उत्पादन खपत से अधिक हुआ है जिसके चलते रेट 45 रू किलो से घट कर 40 - 41 रू किलो तक हो गए हैँ।
दुकानदार : हें हें जी सरकार क्या है जी, जो चाहे लिखे। यहाँ तो जिस भाव खरीदेंगे उसी भाव तो बेचेंगे ना। आखिर हमारा भी तो घर परिवार है कि नहीं?
ग्राहक : पर ये तो सरासर लूट है|
दुकानदार : लूट हो या चोरी, मिलगी तो इसी भाव। लेना हो तो लो नहीं तो चलते बनो।
ग्राहक : अच्छा लाओ इसी भाव दो। मजबूरी जो ठहरी। ये लो 250 रू। लाओ बिल भी दो।
ग्राहक : लाला जी। आपके बिल पर वैट नम्बर नहीं है। इसका मतलब आप तो टैक्स भी चुराते हो। मैं आपकी शिकायत टैक्स विभाग में करूँगा और बिल को बतौर सुबूत पेश करूँगा।
दुकानदार : अरे भाई साहब आप तो नाराज हो गए।
दुकानदार अपने नौकर से : बिरजू साहब को ठंडा पिलाओ।
दुकानदार : हुजूर ये तो आप की अपनी दुकान है। चाहे जिस भाव लीजिए। चाहे तो पैसे भी मत दीजिये।
ग्राहक : मस्का मत लगाइये लाला जी। जो वाजिब दाम हो वही लीजिये। सरकार को पूरा टैक्स भी दीजिये। समझे?
दुकानदार : सब समझ गया हुजूर, सब समझ गया। ये रहा सही बिल 205 रू का वैट नम्बर के साथ।
ग्राहक : ये हुई ना बात। अब तो ग्राहक को बेवकूफ न समझेंगे?
दुकानदार अपने कानों को हाथ लगाकर: तौबा तौबा।
दुकानदार : नमस्ते नमस्ते आइये आइये
दुकानदार अपने नौकर से : बिरजू, 5 किलो चीनी दो बाबू जी को।
दुकानदार ग्राहक से : और क्या दूँ आपको???
ग्राहक : बस इसी का बिल बना दीजिये।
दुकानदार : ये लीजिये बिल, 250 रुपये दीजिये।
ग्राहक : 250?? क्या रेट लगाया है आपने??
दुकानदार : हें हें जी चीनी का भाव चढ़ गया है। 50 रू किलो हो गई है।
ग्राहक : क्या बात करते हैं आप! अख़बार में तो सरकार ने लिखा है की चीनी का उत्पादन खपत से अधिक हुआ है जिसके चलते रेट 45 रू किलो से घट कर 40 - 41 रू किलो तक हो गए हैँ।
दुकानदार : हें हें जी सरकार क्या है जी, जो चाहे लिखे। यहाँ तो जिस भाव खरीदेंगे उसी भाव तो बेचेंगे ना। आखिर हमारा भी तो घर परिवार है कि नहीं?
ग्राहक : पर ये तो सरासर लूट है|
दुकानदार : लूट हो या चोरी, मिलगी तो इसी भाव। लेना हो तो लो नहीं तो चलते बनो।
ग्राहक : अच्छा लाओ इसी भाव दो। मजबूरी जो ठहरी। ये लो 250 रू। लाओ बिल भी दो।
ग्राहक : लाला जी। आपके बिल पर वैट नम्बर नहीं है। इसका मतलब आप तो टैक्स भी चुराते हो। मैं आपकी शिकायत टैक्स विभाग में करूँगा और बिल को बतौर सुबूत पेश करूँगा।
दुकानदार : अरे भाई साहब आप तो नाराज हो गए।
दुकानदार अपने नौकर से : बिरजू साहब को ठंडा पिलाओ।
दुकानदार : हुजूर ये तो आप की अपनी दुकान है। चाहे जिस भाव लीजिए। चाहे तो पैसे भी मत दीजिये।
ग्राहक : मस्का मत लगाइये लाला जी। जो वाजिब दाम हो वही लीजिये। सरकार को पूरा टैक्स भी दीजिये। समझे?
दुकानदार : सब समझ गया हुजूर, सब समझ गया। ये रहा सही बिल 205 रू का वैट नम्बर के साथ।
ग्राहक : ये हुई ना बात। अब तो ग्राहक को बेवकूफ न समझेंगे?
दुकानदार अपने कानों को हाथ लगाकर: तौबा तौबा।
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