Political Science, asked by digeesh1301, 11 months ago

Gram panchayat ka sangathan likho

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संपादित करेंभारत की पंचायती राज प्रणाली में गाँव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है जो भारत के स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अवयव है। सरपंच, ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सार्वजनिक जीवन का प्रत्येक पहलू इसी के द्वारा संचालित होता था।

Answered by anika107695
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ग्राम पंचायत।

उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1947, पारित किया गया जो की पंचायत राज अधिनियम के बारे यह बताता है देश के हर एक गांव में ग्राम पंचायत और ग्राम सभा का गठन किया जाना आवश्यक है और इस अधिनयम में और कई प्रावधान दिए है। इस अधिनियम की धारा 12 अनुसार हर गांवो में एक ग्राम पंचायत का गठन किया जायेगा जो ग्राम सभा के सस्दयो द्वारा ही ग्राम पंचायत के सस्दयो का चुनाव होगा जिसका मतलब यह की जो व्यक्ति ग्राम पंचायत का सदस्य है, वही व्यक्ति ग्राम सभा का सदस्य होता है, लेकिन एक बात ध्यान रखने योग्य यह कि ग्राम सभा का हर एक सदस्य ग्राम पंचायत का सदस्य नहीं होता है। गावो के ग्राम सभा की कार्यकारणी समिति को हो ग्राम पंचायत कहते है।

पंचायत राज के नियमावली के नियम 3 इस बात को बताया गया है कि ग्राम पंचायत में सदस्यों को संख्या कितनी होगी जो की निम्न प्रकार से है :-

जनसंखया सस्दयो की संख्या

जनसँख्या 1000 तक नौ सस्दय

जनसंख्या 1000 से अधिक लेकिन 2000 तक ग्यारह सदस्य

जनसँख्या 2000 से अधिक लेकिन 3000 तक तेरह सदस्य

जनसंख्या 3000 से अधिक पद्रह सस्दय

ग्राम पंचायत में एक प्रधान होता है, जिसका गांव के प्रति कुछ कर्तव्य और कार्य होता है। जो व्यक्ति ग्राम सभा का प्रधान है वही व्यक्ति ग्राम पंचायत का प्रधान होगा। ग्राम पंचायत के लिए उत्तर प्रदेश पंचायत राज विभाग द्वारा एक एक सरकारी कर्मचारी नियुक्त किया जायेगा जो की ग्राम पंचायत सेक्रेटरी होगा जिसे ग्राम पंचायत अधिकारी कहते है।

ग्राम पंचायत के कार्य और कर्त्तव्य।

ग्राम पंचायत के कार्यो और कर्तव्यों का उल्लेख पंचायत राज अधिनयम की धारा 15 और 16 में किया है।

समय समय पर राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट शर्तो के अधीन ग्राम पंचायत निम्नलिखित कार्यो का पालन करेगी जो की इस प्रकार से है। हम बात करेंगे कुछ मुख्य कार्यो और कर्तव्यों के बारे में।

  1. गांव की गली, कूचे, रास्तो की सफाई का प्रबन्ध करना।
  2. साफ और स्वच्छ पिने के पानी का प्रबंध करना।
  3. गांव में रौशनी का प्रबंध करना।
  4. गांव में रह रहे लड़को और लड़कियों की शिक्षा के लिए प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना करना।
  5. प्रारंभिक चिकिस्ता और स्वास्थ केन्द्रो की स्थापना करना।
  6. शिशु कल्याण और प्रसूता स्त्री के कल्याण का कार्य करना।
  7. सार्वजानिक कुओ, तालाबों का प्रबंध करना।
  8. सिचाई का प्रबंध करना।
  9. चरागाहों का प्रबंध करना।
  10. खेती की उन्नति के लिए कार्य करना जैसे उत्तम बीज, खाद और कीटनाशक।
  11. उत्तम खेती के लिए कृषि यंत्रो का प्रबंध करना।
  12. खेती आने वाली खाद को रखने के लिए उचित प्रबंध करना।
  13. गांव के घरो से निकलने वाले कूड़े-करकट को रखने के लिए एक उचित स्थान का प्रबंध करना।
  14. गांव में लोगो के मन में आदर्श नागरिकता की भावना को प्रोत्साहन देना।
  15. गावं के लोगो को देश की शासन वयवस्था से परिचित करवाना।

ग्राम पंचायत की शक्तियां।

  1. धारा 16(A) के तहत बाहरी संगठन को चंदा देने की शक्ति :- ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र की अधिकारिता बाहर के ऐसे संगठनों को उनके ऐसे कामो के लिए अंशदान के रूप में ऐसी धनराशि दे सकती है, जैसा की राज्य सरकार सामान्य या विशेष आदेश द्वारा अनुमति दे।
  2. धारा 17 के तहत सार्वजनिक सड़क आदि का प्रबंध करना।
  3. धारा 33 के तहत ग्राम पंचायत द्वारा गांव की भूमि को अर्जित करने की शक्ति।
  4. ग्राम पंचायत के क्षेत्राधिकार में रहने वाले किसी व्यक्ति से जैसे किसी अमीन, पुलिस, ग्राम चौकीदार, प्राइमरी अध्यापक, पटवारी आदि द्वारा अपने सरकारी कर्तव्योंके के पालन में किसी कदाचार सम्बंधित शिकायत प्राप्त होने पर यदि प्रत्यक्ष साक्ष्य उपलब्ध है, तो ग्राम पंचायत अपनी रिपोर्ट के साथ शिकायत को समुचित प्राधिकारी के पास भेजेगी। प्राधिकारी ऐसी और जांच करने के बाद जो सही हो, समुचित कार्यवाही करेगी और ग्राम पंचायत को उसके परिणाम की सुचना भेज देगा।

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