gramin Bharat mein samasya garibi ki hai berojgari ki Nahin vivechna kijiye
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अशिक्षा, गरीबी व बेरोजगारी ये तीन प्रमुख कारण हैं, जो पलायन का कारण बनते हैं। गांवों में न शिक्षा का माहौल है और न ही रोजगार का कोई साधन। इस कारण लोग पलायन को विवश हो जाते हैं। ग्रामीणों को आशा रहती है कि उन्हें महानगरों में जीवन की सभी सुविधाएं मुहैया हो पाएंगी। महानगरों का दिवास्वप्न ही उन्हें गांवों से शहरों की ओर भटकाव कराता है। देश के जो राज्य उग्रवाद प्रभावित हैं, उन राज्यों से पलायन की दर भी ज्यादा है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिसा व मध्य प्रदेश आदि राज्यों से यह पलायन दर ज्यादा है। इन राज्यों में अशिक्षा, गरीबी व बेरोजगारी चरम पर है। इन राज्यों के ग्रामीण बाहर के महानगरों में काफी संख्या में पलायन करते हैं।
भारत सरकार के जनगणना विभाग के अनुसार देश में वर्ष 1991 से 2001 के बीच करोड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने शहरों की ओर पलायन किया। रोजगार की तलाश में सबसे ज्यादा ग्रामीण महानगरों की ओर जा रहे हैं। अगर निवास-स्थान को आधार माना जाए, तो वर्ष 1991 से 2001 के बीच 30 करोड़ 90 हजार लोगों ने अपने घरों को छोड़ा। यह आंकड़ा देश की जनसंख्या का 30 प्रतिशत है। इसी तरह वर्ष 1991 की जनगणना की तुलना में वर्ष 2001 में पलायन करने वालों की संख्या में 37 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
पलायन से संबंधित जो आंकड़े मिले हैं, वे चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2001 की जनगणना के आंकड़ों को आधार माना जाए, तो महाराष्ट्र में आने वालों की संख्या जाने वालों की संख्या से 20 लाख ज्यादा है। इसी तरह हरियाणा में जाने वालों से ज्यादा आने वालों की संख्या 67 लाख और गुजरात में 68 लाख है। इसी तरह उत्तर प्रदेश से जाने वालों की संख्या यहां आने वाली संख्या से 20 लाख से ज्यादा है। बिहार में भी आने वाले लोगों से ज्यादा जाने वालों की संख्या 10 लाख से ज्यादा है। इसका तात्पर्य उत्तर प्रदेश व बिहार से पलायन करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है जो बाहर के महानगरों में काम की खोज में जाते हैं।