gramin dincharya ke labh aur hani
Answers
ये वो विषय है जिसके बारे में चर्चा और वो भी भोजन के समय अच्छी नहीं मानी जाती है, जबकि ये इसी कृत्य का परिणाम है । वास्तव में इस विषय पर चर्चा किसी भी समय उचित नहीं मानी जाती है ये बस हमारे बचपन के दिनों के लिए छोड़े हुए विषय बन कर रह जाते है जहाँ सारा हास परिहास इसी विषय पर केंद्रित होता है।
तो फिर एक उचित शौच के लिए क्या आवश्यक है?
शौच करते समय भारतीय शैली में बैठना सबसे उत्तम है क्यूंकि इससे पेट में उठने वाले दर्द और मरोड़ से निपटा जा सकता है|
ठंडे पानी से धोये|
शौचालय से आने के बाद न केवल अच्छे से हाथों को धोएं बल्कि पैर और मुख भी धोएं।
शौच के समय कुछ चीजों से बचे।
ज्यादा जोर लगाने से।
५-७ मिनट से ज्यादा समय लगाने से।
शौच के समय पढ़ने से, ये अपान वायु के प्रवाह को प्रभावित करता है। इसलिए आगे से मैगज़ीन या अख़बा को शौच के समय न पढ़ें|
दिन में एक से दो बार शौच अच्छा है । ३ या उससे अधिक बार व्यर्थ में वात कि वृद्धि करता है, वात वो बल है जो मल को शरीर से बाहर करता है| यदि शरीर में वात ठीक नहीं है तो वह भोजन को उचित रूप से पचे बिना ही शरीर से बाहर निकाल देता है।
हम एक अच्छे शौच के विषय में कब्ज़ के बारे में बात किये बिना पूरा नहीं कर सकते है । स्थान परिवर्तन, मौसम में बदलाव जैसा कुछ भी कब्ज़ का कारण बन सकता है। कभी कभी बस ट्रैन कि एक यात्रा भी इसका कारन बन सकती है। इसलिए सही जानकारी रखना आवश्यक है।
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ग्रामीण दिनचर्या के लाभ और हानि निम्नलिखित है:
Explanation:
ग्रामीण दिनचर्या से अभिप्राय एक ऐसी दिनचर्या से है जिसमें गांव के लोगों की जीवन शैली का वर्णन होता है। ग्रामीण दिनचर्या के लाभ और हानि निम्नलिखित है:
लाभ:
1. क्योंकि यहां के लोग जल्दी उठ जाते हैं और ताजा फल फूल खाते हैं इसलिए वह तंदुरुस्त रहते हैं।
2. ग्रामीण दिनचर्या से जुड़े लोग दीर्घायु जीते हैं क्योंकि वह हमारे जैसे शहरों के जंकऔर फास्ट फूड से दूर रहते हैं ।
हानि:
1. गांव के माहौल में ढल जाने के कारण लोग तकनीकी क्षेत्र से दूर हो जाते है।
2. यह लोग गांव में विद्यालय होने के बावजूद भी पढ़ाई नहीं करते हैं जिस वजह से यह शहरों के लोगों से प्रतिस्पर्धा कर नहीं कर पाते हैं ।
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ग्रामीण दिनचर्या
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