Hindi, asked by yadavsatyam6384, 3 months ago

gramir jivan par gadyansh​

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Answered by mominashaik80
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कवि वर मैथिलीशरण जी गुप्त ने ग्राम की विशेषता अपनी कविता में वर्णित की है। गाँव का जीवन सादा, शहर की तड़क भड़क से भिन्न होता है। गाँव के लोग भोलेभाले, सीधे-सादे होते हैं। पर जिस समय यह कविता लिखी गई थी उस समय से देश बहुत आगे बढ़ गया है। गुप्त जी का ग्राम्य जीवन वर्णन आज के युग में सार्थक नहीं रह गया है।

यह ठीक है कि गाँवों में मनुष्य की आवश्यकताएँ कम हैं। ग्राम वासी थोड़े में निर्वाह करलेते हैं। वहाँ व्यर्थ की धन की बरबादी करने के साधन ही नहीं है। अतएव खर्च कम होता है।

ग्रामवासी अधिकतर किसान होते हैं। खेती करके जो कमाई होती है उसी में गुजारा कर लेते हैं। वहाँ भ्रष्टाचार और रिश्वत खोरी करने की गुंजायश नहीं है। अतएव वहाँ हराम की कमाई नहीं होती, अधिक खर्चीला जीवन वे कैसे व्यतीत कर सकें।

किसानों का जीवन संघर्ष मय होता है। वे प्रातः काल उठते हैं। अपने नित्य कृत्य करके खेत का काम देखना होता है। किसानों के घरों में गाय बैल भैंस आदि रहते हैं। उन्हें चारा पानी की व्यवस्था करनी होती है। यह सब करने के पश्चात अपने कलेऊ की व्यवस्था करके वे बैलों को साथ लेकर कंधे पर हल रखकर खेतों की ओर चल पड़ते हैं। उनके प्रयत्नों का फल उन्हें फसल कटने पर वर्ष में दो या तीन बार ही मिलता है। इसी में उन्हें वर्षभर का आहार, कपडा त्यौहारों का खर्च आदि की व्यवस्था करनी होती है।

गाँवों के दृश्य मनोरम होते हैं। चारों ओर हरेभरे खेत, पेड़-पौधे आँखों को सुख पहुँचाते है। भाजी तरकारी की बेलें उनके घर के चारों ओर चढ़ी रहती हैं। ये हरे भरे दृश्य मनोरम होते हैं। गाँवों में प्रदूषण उत्पन्न करने के लिए वहाँ कोई कारखाने नहीं रहते। यहाँ की हवा गुणकारी होती है। ग्रामीणों को बीमारियाँ कम आती है। गुप्तजी के अनुसार –

“है जैसा गुण यहाँ हवा में प्राप्त नहीं डाक्टरी दवा में‘ ।

गाँव वालों में एक दूसरे से अति परिचय होता है। किसी भी जाति कुल को ध्यान न देकर चाचा या भैय्या, अम्मा आदि शब्दों से संबोधित किया जाता है। एक की विपत्ति में सभी ग्राम वासी सहयोग देते हैं। भाईचारे की भावना ग्रामों में व्याप्त रहती हैं।

नगरों जिस प्रकार बात बात पर मुकद्दमे बाजी होती है, गाँवों में इस प्रकार नहीं होती। छोटे मोटे झगड़े आपस में मिलकर सुलझा लिए जाते हैं। गावों में जेब काटने आदि के धंधे नहीं चलते। गाँव का वातावरण शोर शराबे से दूर शान्ति से भरपूर रहता है।

ऐसा रहने पर भी शहरों का प्रभाव अब गाँवों पर पड़ने लगा है। गाँवों तक सड़कें बना दी गई है। बसें भी सभी गाँवों तक चलाई जा रही है। इससे गाँवों का सम्पर्क शहरों से हो रहा है। इससे शहरों की बुराइयाँ गाँवों में प्रवेश कर रही है।

शिक्षा की गाँवों में पहले कमी थी। अब शिक्षा का प्रचार भी होने लगा है। प्रत्येक गाँव के 3-4 किलोमीटर की दूरी पर हाई स्कूल स्थापित हो चुके हैं। गाँवों में शिक्षा का प्रचार होने लगा है। हाँ सिनेमा आदि का प्रभाव नहीं है। बिजली भी अब लगभग सभी गाँवों में पहुँच रही है। इसके कारण दूरदर्शन भी वहां पहुंच गया है। इसकी अच्छाई एवं बुराई दोनों का प्रभाव होने लगा है।

विज्ञान की उन्नति के कारण अब दूरी कम हो गई है। वातावरण बदल रहा है। गाँव और शहर का अन्तर मिटता जा रहा है। वातावरण को स्वच्छता पर भी गाँवों में कोई अन्तर नहीं आया। अन्यथा गाँव अब लगभग शहर ब

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