Hindi, asked by gkj24612, 1 year ago

greediness essay in hindi

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Answered by rohitdalai11223341
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प्रस्तावना:

भ्रष्टाचार आज भारतीय समाज के लिए एक अभिशाप बन गया है तथा हा भविष्य के लिए अत्यन्त खतरनाक सिद्ध हो सकता है । वस्तुत: यह प्रवृत्ति स्वयं लोकतन्त्र लिए भी खतरनाक है । जो राजनीतिज्ञ एवं राजनीतिक दल स्वयं लोकतान्त्रिक प्रक्रिया का पा नहीं करते, वह देश में लोकतन्त्र के प्रति कितना प्रतिबद्ध हो सकते हैं, कहे बिना भी स्पष्ट है ।

चिन्तनात्मक विकास:

लोकतन्त्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें हर व्यक्ति को अपनी कहने और असहमत होने का अधिकार है । असहमति और विरोध की आवाज को बंद क मूल रूप से एक फासीवादी प्रवृत्ति है, जो हमारे लोकतान्त्रिक विश्वासों पर कुठाराघात अष्टाचार आज देश के लिए कोड़ बन गया है ।

इस कोड़ के चलते देश के विकास की सम्भाव गल-गलकर समाप्त हो रही हैं ओं जनता की तमाम आकांक्षाएँ भ्रष्टाचार की आग में जl स्वाहा हो रही हैं । विकास के नाम पर लूट जारी है, भ्रष्टाचार को प्रश्रय देने वाली सर इतनी संक्रामक साबित हुई कि इससे कोई भी दल अछूता नहीं रह पाया ।

भ्रष्टाचार का बोला इतना कभी नहीं रहा कि भारत, आज स्कैंडलों का देश कहा जाने लगा है । वस्तुत: आर्थिक नीतियां और भ्रष्टाचार एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं । राजनीति का अपराधी हो गया है । अत: भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना विकासशील देशों के लिए न केवल जरूर बल्कि अपरिहार्य भी, वरना भ्रष्टाचार का दीमक विकास को चाट जाएगा और वह महज ख्याली पुलाव बन कर रह जायेगा ।

उपसंहार:

निष्कर्षत: हम कह सकते हैं कि आज देश को भ्रष्टाचार खोखला बना रहा है । जिसके कारण देश उन्नति की बजाय अवनति की ओर अग्रसर हो रहा है । भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए हम सभी को मिलकर राष्ट्रीय मुहिम चलानी होगी ।

राजनीतिज्ञों अथवा राजनेताओं की कथनी और करनी के जमीन-आसमान वाले अन्तर सदियों से जग जाहिर रहे हैं । पर भ्रष्टाचार के लुभावने और लाभकारी मुद्‌दे पर यह अन्तर नि झण्डे गाड़ रहा है । दिन-प्रतिदिन नये घोटालों और उनमें राजनेताओं तथा नौकरशाहों की भूमिका के पर्दाफाश होने के चलते भ्रष्टाचार हटाने, भ्रष्टाचार मिटाने के संकल्पों में न सिर्फ दिन रात चौगुनी गति से इजाफा ही हुआ है बल्कि इनका ढिंढोरा भी नित नयी गर्मजोश ऊँचे, तीखे स्वरो में पीटा जा रहा है ।

पर काम दरअसल ठीक उल्टा हो रहा है । अर्थात् जहां बात भ्रष्टाचार मिटाओ की हो रही है वहाँ काम भ्रष्ट बचाओ का सर्वोपरि है । ”समाज में अत्याचार, राष्ट्र में भ्रष्टाचार और कुछ अपवादों को छोड़कर आश्रमों में दुर यह है कुल मिलाकर हमारे भारत और हम भारत के लोगों का चरित्र ।


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