gunjan sexana paragraph in hindi
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कारगिल युद्ध के दौरान भारत की ओर से एकमात्र महिला थी जो युद्ध लड़ रही थी। ... गुंजन पायलटों के दल में एकमात्र महिला थीं। 1999 में गुंजन मात्र 25 साल की थीं। जब उनकी पोस्टिंग 132 फॉरवर्ड एरिया कंट्रोल (FAC) में हुई थी।
- गुंजन को मिला शौर्य वीर पुरस्कार
गुंजन को मिला शौर्य वीर पुरस्कारगुंजन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंजराज कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद एयरफोर्स ज्वाइन किया था. गुंजन सक्सेना और श्री विद्या राजन उन 25 ट्रेनी पायलटों में शामिल थीं, जिन्हें 1994 में भारतीय वायुसेना के पहले बैच में शामिल होने का मौका मिला था. 1999 में जब कारगिल जंग छिड़ी तो दोनों को देश के लिए कुछ करने का मौका मिला, गुंजन ने इससे पहले कभी फाइटर जेट नहीं उड़ाया था. युद्ध के दौरान जब भारतीय सेना को पायलट को जरूरत पड़ी, तब गुंजन और श्री विद्या युद्ध क्षेत्र में भेजने का फैसला किया गया.
- गुंजन को मिला शौर्य वीर पुरस्कारगुंजन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंजराज कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद एयरफोर्स ज्वाइन किया था. गुंजन सक्सेना और श्री विद्या राजन उन 25 ट्रेनी पायलटों में शामिल थीं, जिन्हें 1994 में भारतीय वायुसेना के पहले बैच में शामिल होने का मौका मिला था. 1999 में जब कारगिल जंग छिड़ी तो दोनों को देश के लिए कुछ करने का मौका मिला, गुंजन ने इससे पहले कभी फाइटर जेट नहीं उड़ाया था. युद्ध के दौरान जब भारतीय सेना को पायलट को जरूरत पड़ी, तब गुंजन और श्री विद्या युद्ध क्षेत्र में भेजने का फैसला किया गया.अपने मिशन को अंजाम देने के लिए गुंजन को कई बार लाइन ऑफ कंट्रोल के बिल्कुल नजदीक से भी उड़ान भी पड़नी पड़ी, जिससे पाकिस्तानी सैनिकों की पोजिशंस का पता लगाया जा सके, गुंजन और उनकी साथी ने अपनी जान पर खेलकर इस पूरे मिशन को अंजाम दिया था. गुंजन सक्सेना को कारगिल युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी के लिए शौर्य वीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया, इस पुरस्कार को पाने वाली वह पहली महिला बनीं.
गुंजन को मिला शौर्य वीर पुरस्कारगुंजन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंजराज कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद एयरफोर्स ज्वाइन किया था. गुंजन सक्सेना और श्री विद्या राजन उन 25 ट्रेनी पायलटों में शामिल थीं, जिन्हें 1994 में भारतीय वायुसेना के पहले बैच में शामिल होने का मौका मिला था. 1999 में जब कारगिल जंग छिड़ी तो दोनों को देश के लिए कुछ करने का मौका मिला, गुंजन ने इससे पहले कभी फाइटर जेट नहीं उड़ाया था. युद्ध के दौरान जब भारतीय सेना को पायलट को जरूरत पड़ी, तब गुंजन और श्री विद्या युद्ध क्षेत्र में भेजने का फैसला किया गया.अपने मिशन को अंजाम देने के लिए गुंजन को कई बार लाइन ऑफ कंट्रोल के बिल्कुल नजदीक से भी उड़ान भी पड़नी पड़ी, जिससे पाकिस्तानी सैनिकों की पोजिशंस का पता लगाया जा सके, गुंजन और उनकी साथी ने अपनी जान पर खेलकर इस पूरे मिशन को अंजाम दिया था. गुंजन सक्सेना को कारगिल युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी के लिए शौर्य वीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया, इस पुरस्कार को पाने वाली वह पहली महिला बनीं.अब करण जौहर गुंजन सक्सेना पर बनने वाली फिल्म को प्रोड्यूस कर रहे हैं और इस फिल्म की हीरोइन होंगी जाहन्वी कपूर .