Gupt Yug ke dauran Samajik aur Dharmik Jivan ka vivaran likhe answer
Answers
Answer:
● गुप्तकाल सामाजिक व्यवस्था ➡
गुप्त काल में वर्ण व्यवस्था पूर्ण रूप से प्रतिष्ठित थी वराहमिहिर ने गुप्त काल में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र के लिए क्रमश पाँच, चार, तीन व दो कमरे हों ऐसा विचार दिया था ।
गुप्तकालीन भारतीय समाज परंपरागत 4 जातियों मे विभक्त था :- ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य,शुद्र ।
समाज के सभी वर्णों एवं जातियों में ब्राह्मणों का प्रतिष्ठित स्थान था । यद्यपि उनका मुख्य कर्म धार्मिक एवं साहित्यिक था तथापि कुछ ब्राह्मणों ने अपने जातिगत पेशों को छोड़कर अन्य जातियों की वृत्ति अपना लिया था ।
● गुप्तकालीन धार्मिक जीवन ➡
गुप्त शासकों का शासन-काल ब्राह्मण (हिन्दू) धर्म की उन्नति के लिये विख्यात है। गुप्त शासक वैष्णव धर्म के अनुयायी थे तथा उनकी उपाधि ’परमभागवत’ थी। उन्होंने कई वैदिक यज्ञों का अनुष्ठान किया। गुप्तकालीन शासक पूर्णतया धर्म-सहिष्णु थे तथा वे किसी भी अर्थ में प्रतिक्रियावादी नहीं थे।उनकी धार्मिक सहिष्णुता एवं उदारता की नीति ने इस काल में विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों को फलने-फूलने का समुचित अवसर प्रदान किया था।गुप्तकालीन जनता को अपनी इच्छानुसार धर्म अपनाने की स्वतंत्रता प्राप्त थी। गुप्त काल के बहुसंख्यक अभिलेखों में भगवान विष्णु के मंदिरों का उल्लेख मिलता है।
इस काल में विष्णु के अतिरिक्त शिव, गंगा-यमुना, दुर्गा, सूर्य, नाग, यक्ष आदि देवताओं की उपासना होती थी। मंदिर निर्माण का अस्तित्व इसी काल में आया, जैसे-देवगढ़ का दशावतार मंदिर, भूमरा का शिव मंदिर तथा भीतर गाँव का मंदिर आदि।
हिन्दू देवी-देवताओं के अतिरिक्त जैन एवं बौद्ध मतानुयायी भी देश में बड़ी संख्या में विद्यमान थे। इस काल में विदेशों में भी हिन्दू धर्म एवं क्रियाओं (संस्कार आदि) को अपना लिया गया था, जैसे-जावा, सुमात्रा, बोनिर्यो आदि। दक्षिण पूर्व एशिया के विभिन्न द्वीपों में हिन्दू धर्म का व्यापक प्रचार हो चुका था।
Explanation: