Hindi, asked by gudiya88, 10 months ago

guru aur chela summary​

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Answered by jass525
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Answered by jayathakur3939
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" गुरु और चेला " सारांश

एक बार एक गुरु और उसका चेला दोनों एक नगरी में घूमने जाते हैं। वे दोनों सबसे उस नगरी का नाम पूछते हैं। उन्हें एक ग्वालिन से पता चलता है कि इस नगरी का नाम अंधेर नगरी है और यहाँ का राजा निरा मूर्ख है। यहाँ हर वस्तु एक टके में एक सेर मिलती है। यह सुनकर गुरु वहाँ से वापस जाने का निर्णय लेते हैं। चेला गुरु की बात नहीं मानता। वह वहीं रहकर खाने के मज़े लेना चाहता है। गुरु चेले को छोड़कर चला जाता है। एक दिन बारिश के कारण दीवार गिर जाती है। उसके लिए बारी-बारी से कारीगर, मशकवाला, मंत्री सभी को दोषी ठहराया जाता है। मंत्री इसका मुख्य आरोपी सिद्ध होता है। मंत्री की गर्दन पतली होने के कारण राजा किसी मोटे व्यक्ति को उसके स्थान पर फाँसी पर चढ़ाने का हुक्म देता है। चेला उस राज्य में खूब खाकर-पीकर मोटा हो जाता है। मोटे होने के कारण राजा उसे ही फाँसी पर चढ़ाने का हुक्म देता है। वह फाँसी पर लटकने से पहले अपनी आखिरी इच्छा के रूप में अपने गुरु जी से मिलने की माँग करता है। गुरु को बुला लिया जाता है। गुरुजी आते ही बात समझ जाता है। वह चेले को कान में कहकर सारी बात समझा देता है। इसके बाद दोनों आपस में ज़िद्द करने लगते हैं कि वे पहले फाँसी पर चढ़ेगें। दोनों को इस तरह ज़िद्द करते देख राजा पूछता है “आखिर बात क्या है?” गुरूजी बताता है कि “इस समय जो फाँसी पर चढ़ेगा, वह चक्रवर्ती सम्राट बनेगा।” यह सुनकर राजा स्वयं फांसी पर चढ़ जाता है। अत: गुरु की सूझबूझ से चेला बच जाता है और मूर्ख राजा से प्रजा बच जाती है।

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