Guru hame andhakar se prakash ki or le jate hai. Is vishay par apne vichar likhiye
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Explanation:
गु - का अर्थ है अंधकार रु- का तात्पर्य है प्रकाश जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए वही गुरु है गुरु अपने अध्यात्म से अज्ञान रुपी अंधकार को दूर कर ज्ञान रूपी प्रकाश भर देता है
गुरु की कृपा के द्वारा मनुष्य को सांसारिक माया मोह के बंधन से मुक्ति मिलती है वही एकमात्र भवसागर से पार लगाने का माध्यम है बच्चा संसार में जन्म लेता है तो पहले गुरु उसके माता पिता होते हैं दूसरे गुरु अध्यात्म देने वाले होते हैं जो अपने अध्यात्म के बल पर अपने शिष्यों में अज्ञान रुपी अंधकार को दूर कर ज्ञान रूपी प्रकाश भर देते हैं जब उसे ज्ञान रूपी प्रकाश प्राप्त हो जाता है तो उसे सांसारिक माया मोह के बंधनों से मुक्ति मिल जाती है
इसके संबंध में महात्मा तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में गुरु महिमा का सुंदर वर्णन करते हुए लिखा था ---
गुरु बिनु भाव निधि तरहि न कोई।
जौ बिरंचि शंकर सम होई।
अर्थात बिना गुरु की कृपा के मानव मात्र को भवसागर से मुक्ति नहीं मिल सकती है चाहे वह ब्रह्मा विष्णु महेश के समान ही श्रेष्ठ पदों वाला क्यों न हो
भ्रमित जनमानस को सत्य का संदेश देने के लिए समर्थ साईं जगजीवन साहब का अवतार ग्राम सरदहा निवासी ठाकुर गंगाराम की पत्नी केवला देवी से हुआ जिन्होंने कोटवाधाम के कोटिक बन मे अपनी साधना स्थली बनाई जिन्होंने जीवनपर्यंत भ्रमित जनमानस को सत्य का संदेश दिया स्वामी जी का विचारधारा कि संसार में कोई ऊंच-नीच नहीं है सभी एक परमात्मा की संताने हैं मनुष्य अपने कर्म से महान बनता है लोगों के द्वारा सच्चे मन से की गई साधना उसके मोक्ष का कारण बन सकती है ।
उन्होंने हिंदू मुस्लिम के मध्य कौमी एकता का संदेश देते हुए कहा था ---
अल्ला अलख एकै अहै दूजा नाही कोय।
जगजीवन जो दूजा काहे दोजख परखिए सोय ।।
अर्थात ईश्वर को चाहे अल्लाह कहे या भगवान दोनों एक हैं यही उनका संदेश आज भी कौमी एकता की अलख जगाने के लिए विधि ग्राह्य है
गुरु पूर्णिमा पर कोटवा धाम मे बड़ी गद्दी के महंत नीलेंद्र बख्श दास के आश्रम में कमोली धाम में विशाल दास व रमेश दास के आश्रम में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सभी धर्मों के लोगो ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया ।
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