Guru ka mahatva
vishay
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हर व्यक्ति की सफलता के पीछे गुरु का हाथ होता है। गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है। गुरु को उजाले का दीप माना जाता है। गुरु के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है। गुरु के सहयोग से ही हर व्यक्ति सफल बनता है।
गुरु का होना अंधकार में दीप के जैसे होते है। जो खुद जलकर दूसरो को उजागर करते है. माता के बाद दूसरा शिक्षक गुरु ही होते हैं। गुरु से ली गई शिक्षा संस्कार हमारे जीवन को आसान बना देती है।गुरु ही वह व्यक्ति होता है जो खुद एक स्थान पर रहकर दूसरों को अपनी मंजिल तक पहुंचाता है। गुरु हमेशा सभी को अच्छा ज्ञान देता है। गुरु सच्चे पथ प्रदर्शक होता है। हमारे जीवन में गुरु बहुत महत्वपूर्ण होते हैं.
मनुष्य के लिए भगवान से भी बढ़कर गुरु को माना जाता है क्योंकि भगवान हमें जीवन प्रदान करता है। और गुरु हमें शिक्षा देकर इस जीवन को सही ढंग से जीना सिखाते हैं। जो गुरु का मार्ग दर्शन करके चलता है। उसे जीवन में कभी ठोकरे नहीं खानी पड़ती है।
गुरु शब्द को देखा जाए तो गुरु दो शब्दों के मेल से बनता है। किसने पहला शब्द जिसका अर्थ होता है. अंधकार और दूसरा शब्द रूप जिसका अर्थ होता है उजियारा यानी गुरु के नाम से ही हम पहचान कर सकते हैं कि यह हमें अंधकार से उजियारे की ओर ले जाने का कार्य करते हैं। गुरु हमें अंधकार रूपी इस जीवन में प्रकाश रूपी ज्ञान देते हैं।
गुरु हमें शिक्षा के साथ-साथ संस्कारवान तथा अनुशासित विद्यार्थी बनाते हैं। व्यक्ति को जीवन में कुछ करना है तो उसे हर चीज के बारे में महसूस कराना होगा। यह कार्य सिर्फ गुरु ही कर सकते हैं.
जो अपने शिष्य को प्रेम भाव के साथ समझा कर उन्हें अपने जीवन और भविष्य के लिए क्या उचित है और क्या आपके भविष्य को बर्बादी की ओर ले जाता है। गुरु अनुभवी होते हैं वे अपने अनुभव का प्रयोग कर अपने चीजों को ज्ञान देते हैं।गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान सदुपयोग कर सभी को अंधकार आरोपी अज्ञान से दूर करते हुए छवि को शिक्षित बनाना है। ज्ञान ही एकमात्र ऐसी वस्तु है जिसे बांटने से वह कम नहीं होती बल्कि बढ़ती है इसलिए अपने ज्ञान को आगे से आगे शेयर करना चाहिए और सभी को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना हमारा है।
"वह व्यक्ति जो ज्ञान से जीवन आसान बनाएं।
वही हमारे लिए गुरू कह लाए।।"
गुरु वही जो शिखर पर ले जाएं
गुरु बिन घोर अंधेरा और ,गुरु ज्ञान बिना जग सूना सूना.
गुरु की महिमा अपरंपार ,गुरु ही लगाएंगे नैया पार.
गुरु जग में करता उजाला, गुरु से ही शुरू होता सफल जीवन.
गुरु सरीका नहीं कोई भाई ,पढ़ ले इनसे मेरे भाई.
कभी कभी सोचा करता हूं.
गुरु ऋण से उऋण होने जैसा कुछ सोच नहीं पाता हूं.
आखिर में यही ख्याल गुरु बनकर ही रुक पाता हूं.