Guru pujan ko vistar se samjhaie
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गुरु पूजन की विवेचना निम्न प्रकार से स्पष्ट की गई है।
- गुरु पूजन का शाब्दिक अर्थ है अपने इष्ट गुरु की पूजा करना परन्तु सही अर्थ में गुरु पूजन का मतलब है अपने गुरु की आज्ञा मानना।
- हमारी मां भी हमारी गुरु होती है जो हमें कष्ट सहकर जन्म देती है, हमें पालती है, अच्छे संस्कार देती है। हमारे पिता भी हमारे गुरु होते है क्योंकि वे सम्मानजनक जीवन जीना सीखते है।जीवन के आदर्श बताते है, वे हमारे मार्गदर्शक होते है।
- तीसरे गुरु हमारे शिक्षक होते है। वे हमें ज्ञान देते है , समाज में उठना बैठना सिखाते है, शिक्षा का दान देकर हमें एक सफल इंसान बनाते है।
- इन सभी गुरुओं की आज्ञा का पालन करना ही उनकी पूजा कहलाता है। मेरे विचार से केवल एक दिन उनके पैर छूना, उनकी आरती करना , यह पूजा नहीं है।
- वास्तविक पूजा है कि हम नित्य अपने गुरुओं का सम्मान करे, उनकी बात माने, उनका दिल न दुखाए।
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