Gurubhakti par nibandh
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गुरु पूर्णिमा के दिन हम गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करते हैं। महान स्वप्नदद्रष्टाओं की पीढ़ियों ने वेदांत-आत्म-प्रबंधन के विज्ञान-को जीवित रखा था। गुरु शब्द का अर्थ है ‘अधंकार को दूर करने वाला’ । गुरु अज्ञान को दूर करके हमें ज्ञान का प्रकाश देता है। वह ज्ञान जो हमें बतलाता है कि हम कौन हैं; विश्व से कैसे जुड़ें और कैसे सच्ची सफलता प्राप्त करें। सबसे अधिक महत्वपूर्ण कि कैसे विश्व से ऊपर उठ कर अनश्वर परमानंद के धाम पहुंचे।
जितने तीव्र
जितने निश्छल
भावों से करोगे तुम भक्ति
अपने गुरु की
फलित होती उतनी ही अधिक
उतनी ही जल्दी ...
भक्ति असली वही कहलाती
जो बढ़ लेता उसी मार्ग पर
जिस पर चलकर
कर रहे होते
कल्याण अपना गुरुवर ...
यदि नहीं बन पा रहा
सामर्थ्य इतना
उनके बताये वचनो का
उनके दिए गए निर्देशों को
पहुंचाओ घर घर तक
जितनी भी हो क्षमता तुम्हारी
उनके प्रवचनों में लोगो को लाकर
या उनके प्रवचनों का प्रसारण कराकर
अथवा उनके प्रवचनांशो- ं का
प्रसार करके अपने संपर्कों के अंदर
कर सकते तुम
अपने गुरु के प्रति
अपनी भक्ति व्यक्त ...
सबसे सरल है आज साधन
सोशल मीडिया
जहाँ उनकी वाणी को
ढालकर शब्दरूप में
मर सकते उनके भावों का विस्तार
जो करता जीव मात्र का कल्याण
बन सकते तुम निमित्त इसमें
इस प्रकार
आज नहीं कल
मिलेगा इसका उत्तम लाभ ...
इतना ही है मेरा ख्याल, आज
प्रणाम !
अनिल जैन "राजधानी"
जितने तीव्र
जितने निश्छल
भावों से करोगे तुम भक्ति
अपने गुरु की
फलित होती उतनी ही अधिक
उतनी ही जल्दी ...
भक्ति असली वही कहलाती
जो बढ़ लेता उसी मार्ग पर
जिस पर चलकर
कर रहे होते
कल्याण अपना गुरुवर ...
यदि नहीं बन पा रहा
सामर्थ्य इतना
उनके बताये वचनो का
उनके दिए गए निर्देशों को
पहुंचाओ घर घर तक
जितनी भी हो क्षमता तुम्हारी
उनके प्रवचनों में लोगो को लाकर
या उनके प्रवचनों का प्रसारण कराकर
अथवा उनके प्रवचनांशो- ं का
प्रसार करके अपने संपर्कों के अंदर
कर सकते तुम
अपने गुरु के प्रति
अपनी भक्ति व्यक्त ...
सबसे सरल है आज साधन
सोशल मीडिया
जहाँ उनकी वाणी को
ढालकर शब्दरूप में
मर सकते उनके भावों का विस्तार
जो करता जीव मात्र का कल्याण
बन सकते तुम निमित्त इसमें
इस प्रकार
आज नहीं कल
मिलेगा इसका उत्तम लाभ ...
इतना ही है मेरा ख्याल, आज
प्रणाम !
अनिल जैन "राजधानी"
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