Gutnirpekshta kya hai pol science
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द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के स्वरूप में परिवर्तन लाने वाले तत्वों में ‘गुटनिरपेक्षता’ (Non-Alignment) का विशेष महत्व है । गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की उत्पत्ति का कारण कोई संयोगमात्र नहीं था अपितु यह सुविचारित अवधारणा थी । इसका उद्देश्य नवोदित राष्ट्रों की स्वाधीनता की रक्षा करना एवं युद्ध की सम्भावनाओं को रोकना था ।
गुटनिरपेक्ष अवधारणा के उदय के पीछे मूल धारणा यह थी कि साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद से मुक्ति पाने वाले देशों को शक्तिशाली गुटों से अलग रखकर उनकी स्वतन्त्रता को सुरक्षित रखा जाए । आज एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका के अधिकांश देश गुटनिरपेक्ष होने का दावा करने लगे हैं ।
जहां 1961 के बेलग्रेड शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले गुटनिरपेक्ष देशों की संख्या 25 थी, वहां आज निर्गुट आन्दोलन के सदस्यों की संख्या 120 हो गई है । आर्मेनिया, आजरबेजान, बोस्निया, हर्जेगोबिना, ब्राजील, चीन, कोस्टारिका, क्रोशिया, अल साल्वाडोर, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, यूक्रेन तथा उरुग्वे आदि देशों को गुट निरपेक्ष आन्दोलन में पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल है ।