Guys i'll mark u the brainliest and i will follow u too... PLZZZZZ write a speech on plastic aur planet in hindi PLSSSSSSS IT WOULD MEAN THE WORLD!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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जिस प्लास्टिक को हम बड़ी शान से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाए हुए हैं, वही अब हमारी नसों में पैबस्त होकर हमें खोखला, बहुत खोखला करता जा रहा है। रसायन विज्ञान की यह खोज मानवता के लिये धीमा जहर बन चुकी है। रिसाइकिल की पर्याप्त व्यवस्था न होने से यहाँ-वहाँ प्लास्टिक के ढेर जमा हैं। प्राकृतिक रूप से यह सड़नशील नहीं है। सैकड़ों-हजारों वर्षों में इसकी धुर्री-धुर्री भूजल में मिल रही है। जिस पानी को हम पीते हैं, उसमें प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मिलने लगे हैं, कई जगह समुद्र के पानी से बने नमक में भी ये प्लास्टिक मिला है। यही प्लास्टिक आगे जाकर हमारी पीढ़ियों को रुग्ण बनाएगा। अब आपको सोचना है कि प्लास्टिक से परहेज करके अपनी पीढ़ियों को बचाना है या उन्हें उनकी किस्मत पर छोड़ देना है। दुनिया भर में प्लास्टिक के बढ़ते खतरे के प्रति आगाह करने के लिये इसे बार 22 अप्रैल को मनाए जा रहे पृथ्वी दिवस की थीम भी यही है, प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करो।
हमारी ही लापरवाही का नतीजा है कि समुद्र में प्लास्टिक कचरा बढ़ रहा है आशंका है कि अगर यही स्थिति रही तो 2050 तक समुद्र में मछलियों से अधिक प्लास्टिक कचरा नजर आएगा। हालांकि इससे निपटने के प्रयास भी जारी हैं। इसी क्रम में नीदरलैंड ने समुद्र साफ करने की पहल कर दी है।
फ्रेडोनिया स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के वैज्ञानिकों ने नौ देशों में 19 स्थानों की 259 बोतलों पर अध्ययन किया। इसमें सामने आया कि जिस पानी को लोग मिनरल वाटर समझकर पीते हैं, उसमें प्रति लीटर औसतन 325 प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मौजूद हैं। किसी-किसी बोतल में प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों की सान्द्रता दस हजार तक भी दिखी। 259 में से केवल 17 बोतलें प्लास्टिक मुक्त मिली।
इस बात को हम अस्वीकार नहीं कर सकते हैं कि उन तमाम उपयोगों में जहाँ हम आज प्लास्टिक को तवज्जो दे रहे हैं वो तब पहले भी किसी-न-किसी रूप में हमारे बीच में थे, जिन्हें हमने प्लास्टिक को सरल मानते हुए छोड़ दिया। प्लास्टिक के विकल्पों को खोजने का कदम दूसरे ग्राम आधारित रोजगारों को भी जन्म देगा। सरकारों को भी चाहिए कि प्लास्टिक के उन तमाम उत्पादों व नियंत्रणों पर रोक लगा दे, जहाँ प्लास्टिक प्रायः और निरन्तर प्रयोग में लाया जाता है और खास उत्पादों तक सीमित कर दे...अनिल जोशी, संस्थापक, हिमालयन एनवायरनमेंटल स्टडीज एंड कंजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन।
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जिस प्लास्टिक को हम बड़ी शान से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाए हुए हैं, वही अब हमारी नसों में पैबस्त होकर हमें खोखला, बहुत खोखला करता जा रहा है। रसायन विज्ञान की यह खोज मानवता के लिये धीमा जहर बन चुकी है। रिसाइकिल की पर्याप्त व्यवस्था न होने से यहाँ-वहाँ प्लास्टिक के ढेर जमा हैं। प्राकृतिक रूप से यह सड़नशील नहीं है। सैकड़ों-हजारों वर्षों में इसकी धुर्री-धुर्री भूजल में मिल रही है। जिस पानी को हम पीते हैं, उसमें प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मिलने लगे हैं, कई जगह समुद्र के पानी से बने नमक में भी ये प्लास्टिक मिला है। यही प्लास्टिक आगे जाकर हमारी पीढ़ियों को रुग्ण बनाएगा। अब आपको सोचना है कि प्लास्टिक से परहेज करके अपनी पीढ़ियों को बचाना है या उन्हें उनकी किस्मत पर छोड़ देना है। दुनिया भर में प्लास्टिक के बढ़ते खतरे के प्रति आगाह करने के लिये इसे बार 22 अप्रैल को मनाए जा रहे पृथ्वी दिवस की थीम भी यही है, प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करो।
प्लास्टिक बैगप्लास्टिक खत्म करने की पहल
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