h kai pathr kinare pi rhe chup chap pani pyaas jane kb bhujegi m kon sa almkar h
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केदारनाथ अग्रवाल
चाँद गहना से लौटती बेर
देख आया चंद्र गहना
देखता हूँ दृश्य अब मैं
मेड़ पर इस खेत की बैठा अकेला।
कवि एक गाँव से लौट रहे हैं जिसका नाम है चाँद गहना। लौटते समय कवि एक खेत की मेड़ पर अकेले बैठकर गाँव के सौंदर्य को निहार रहा है। आगे की पंक्तियों में ज्यादातर पौधों की तुलना अलग अलग वेशभूषा वाले आदमियों से की गई है।
एक बीते के बराबर
ये हरा ठिगना चना
बांधे मुरैठा शीश पर
छोटे गुलाबी फूल का
सजकर खड़ा है।
चने का पौधा ऐसा लग रहा है जैसे एक ठिगना सा आदमी अपने सर पर छोटे से गुलाबी फूल की पगड़ी बांधकर सज धजकर खड़ा है।
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