हैं। ऐसी ही कुछ पहेलियाँ यहाँ पर दी गई हैं।
(1) सोने की वह चीज़ है,
पर बेचे नहीं सुनार।
मोल तो ज्यादा है नहीं,
बहुत
है उसका भार ।
(2) एक नगर में ढेरों चोर,
चोरों का मुँह काला।
पूँछ पकड़कर खींच दो,
झट हो जाए उजाला।
(3) पानी मेरा बाप,
पानी ही मेरा बेटा।
मुँह ऊपर करके देखो,
मैं सबके ऊपर लेटा।
(4) खुली रात में मैं पैदा होती,
हरी घास पर सोती हूँ।
मोती जैसी मूरत मेरी,
बादल की मैं पोती हूँ।
(5) इधर की बात उधर मैं करता,
उधर की इधर मैं बताता।
चुगलखोर पर कहे ना कोई,
सब के काम में आता।
(
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ढूँढ़ते रह जाओगे
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C) 75 and a month.......
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