History, asked by jaishreeverma, 1 year ago

है अमित सामर्थ्य मुझमें याचना मैं क्यों करूंगा।
रुद्र हूँ विष छोड़ मधु की कामना मैं क्यों करूंगा।
इंद्र को निज अस्थि पंजर जब कि मैंने दे दिया था,
घोर विष का पात्र उस दिन एक क्षण में ले लिया था
दे चुका जब प्राण कितनी बार जग का त्राण करने,
फिर भला विध्वंस की कटु कल्पना मैं क्यों करूंगा?
विश्व के पीड़ित मनुज को जब खुला है घर मेरा,
दूध साँपों को पिलाता स्नेहमय आगार मेरा,
जीतकर भी शत्रु को जब मैं दया का दान देता,
देश में ही द्वेष की फिर भावना मैं क्यों भरूंगा?
मार दी ठोकर विभव को बन गया क्षण में भिखारी,
किंतु फिर भी जल रही क्यों द्वेष से आँखें तुम्हारी,
आज मानव के हृदय पर, राज्य जब मैं कर रहा हूँ,
फिर क्षणिक साम्राज्य की भी कामना मैं क्यों करूंगा?
(क) काव्यांश में 'मैं' कौन है?
(ख) “दूध साँपों को पिलाता' का क्या आशय है?
(ग) द्वेष से किसकी आँखें जल रही हैं?
(घ) भारत विध्वंस की कल्पना क्यों नहीं कर सकता?
(ङ) प्रस्तुत काव्यांश हमें क्या का संदेश देता है?​

Answers

Answered by Shahoodalam
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Bhaiya ye sab apne kr lo itna waqt nhi padhne ka short and tricky question kro baat samajh ma I aay inki nhi


jaishreeverma: Pls yrr
Shahoodalam: kya
jaishreeverma: Pls give ans
Shahoodalam: i dont understand it very tough hindi
jaishreeverma: okay
jaishreeverma: leave it
Shahoodalam: hahaha
Answered by gpadayanand
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Answer:

काव्यांश में मैं कौन हूं?

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