हा बताइए
2.
"बहुत दिन हुए
हमें अपने मन के छंद छुए।* इस पंक्ति के भाव पर चर्चा कीजिए।
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मन के छंद से यहाँ तात्पर्य मन की खुशी से है। अर्थात् यहाँ कठपुतलियाँ कहती हैं कि बहुत दिनों से हमने अपनी मर्ज़ी से अपनी खुशी के लिए कुछ नहीं किया। इसी कारण से हमारे मन की इच्छाएँ खत्म हो गई हैं, हमारे मन का दुख दूर नहीं
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