हे ग्राम देवता नमस्कार कविता का सारांश
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हे ग्राम देवता नमस्कार कविता का सारांश
हे ग्राम देवता नमस्कार कविता रामकुमार वर्मा द्वारा लिखी गई है|
रामकुमार वर्मा जी कविता में किसानों के लिए कविता लिखी है जो दिन-रात मेहनत करके पूरी दुनिया का अनाज़ देता है| वह खुद भूखा रह लेता , वह खुस पूरा जीवन गरीबी में निकाल देता लेकिन सबके घरों में अनाज़ पहुंचाता है|
हे ग्राम देवता तुम्हें प्रणाम। हम धन्यवाद करते है आपको सोना चांदी को कोई चाह नहीं है, परंतु उसके बदले में मिट्टी से प्यार है , आप उसे पाकर ही खुश है|
"ग्राम देवता" हैं हमारे किसान | चाहे गर्मी , ठंड , बरसात की परवाह किये बिना दिन रात अपने खेतों में हड्डीतोड़ मेहनत करके धरती का सीना चीरकर अन्न पैदा करते है ताकी को भी भूखा न रहे | किसान किसी भी देवता से कम नहीं कहा जा सकते|
कविता में कवि ने जन-मन का अधिनायक किसान को कहा गया है , किसान की खुशियाँ हम सब के लिए बहुत जरूरी है , इनके कारण ही सभी घरों में अनाज जाता है | किसान की परिश्रम को बताया गया | किसान जड़ की चेतना का विकास करते है |
इस कविता का सारांश है कि किसान जन मन का देवता है। वह किसी भगवान से कम नहीं है इनकी खुशियां हमारे लिए बहुत जरूरी है। इनके कारण ही हमारे घर में अनाज आता है। यह दिन रात मेहनत करके अनाज उपजाता है और हम सभी को अनाज पहुंचाता है। वह खुद बुखारा लेता है वह पूरा जीवन गरीबी में निकाल देता है परंतु सब के कारण आज पहुंचाता है सभी को भुखमरी से बचाता है।