Hindi, asked by aryank5075, 20 hours ago

हे ग्राम देवता नमस्कार!
सोने चांदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार!
हे ग्राम देवता नमस्कार!
जन कोलाहल से दूर कहीं एकाकी सिमटा सा निवास,
रवि शशि का उतना नहीं जितना प्राणों का होता प्रकाश,
श्रम वैभव के बल पर करते हो जड़ से चेतन का विकास,
दानों- दानों में फूट रहे सौ-सौ दानों के हरे हास,
यह है ना पसीने की धारा , यह गंगा की है धवल धार,
हे ग्राम देवता नमस्कार!
अधखुले अंग जिनमे केवल हैं कसे हुए कुछ अस्थि खंड
जिनमें दधीचि की हड्डी है यह वज्र इंद्र का है प्रचंड!
जो है गतिशील सभी ऋतु में गर्मी वर्षा हो या की ठंड
हे ग्राम देवता नमस्कार!


Ques:
पसीने की धारा को क्या माना है?
Option:
1 श्रम बिंदु
2गर्मी का परिणाम
3एक समस्या
4गंगा का पावन जल।

Answers

Answered by ranadiya73
1

Answer:

4.

is the ans

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