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भारत में पत्रकारिता की शुरूआत कब और किससे हुई?
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पत्रकारिता का इतिहास
लगता है कि विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 131 ईस्वी पूर्व रोम में हुआ था। उस साल पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा। उस का नाम था – “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं)। वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे। ये पट्टियां रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं और इन में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति, नागरिकों की सभाओं के निर्णयों और ग्लेडिएटरों की लड़ाइयों के परिणामों के बारे में सूचनाएं मिलती थीं।
मध्यकाल में यूरोप के व्यापारिक केंद्रों में ‘सूचना-पत्र ‘ निकलने लगे। उन में कारोबार, क्रय-विक्रय और मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव के समाचार लिखे जाते थे। लेकिन ये सारे ‘सूचना-पत्र ‘ हाथ से ही लिखे जाते थे।
15वीं शताब्दी के मध्य में योहन गूटनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया। असल में उन्होंने धातु के अक्षरों का आविष्कार किया। इस के फलस्वरूप किताबों का ही नहीं, अख़बारों का भी प्रकाशन संभव हो गया।
16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, योहन कारोलूस नाम का कारोबारी धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर प्रकाशित करता था। लेकिन हाथ से बहुत सी प्रतियों की नकल करने का काम महंगा भी था और धीमा भी। तब वह छापे की मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापने लगा। समाचार-पत्र का नाम था ‘रिलेशन’। यह विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना जाता है।
भारत में पत्रकारिता की शुरुआत 1780 में हुई जब प्रथम मुद्रित अंग्रेजी समाचार ‘कलकत्ता जेनरल एडवरटाइजर’ का प्रकाशन आरम्भ हुआ। इस पत्र की शुरुआत जेम्स ऑगस्टस हिक्की नाम के अंग्रेज ने की थी और उसी के नाम से इसका नाम ‘हिक्की गजट’ पड़ गया। 1780 से 1818 तक भारतीय पत्रकारिता पर केवल अंग्रेज ही छाये रहे और इस अवधि में जितने पत्र निकले वे सभी अंग्रेजी में ही थे।