हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए’–कवि दुष्यन्त कुमार की इस पंक्ति का आशय बताइए।
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इस पंक्ति का आशय है कि हमारे देश में सामान्य आदमी की व्यथा एवं दुर्दशा अत्यधिक बढ़ गई है, अब उसमें बदलाव आना चाहिए, अर्थात् दुर्दशा को समाधान होना चाहिए।
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