हा ! हा! भारत दुर्दशा न देखी जाई।।
सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दोनो।
सड़के पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो।
सड़के पहिले जो रूप रंग रसमीनो।
सड़के पहिले विद्याफल जिन गहितीनो॥
अब सबके पीछे सोई परत लखई।
हा ! हा! भारत दुर्दशा न देखी जाई॥
जहं भए शाक्य हरिवन्द नहा ययाती।
जहं राम युधिष्ठिर वासुदेव सकती।
जहं भीम करल अर्जुन की छटा दिखाती।
तहं रही मूढता कलह अविद्या राती॥
अब जहं देखहु तहं दुख ही दुख दिखाई।
हा। हाभारत या
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इसमें करना क्या है????
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