Hindi, asked by prajukta12, 4 months ago

हाहाकार
गूज रहा है।
का
और ये गूंगे... अनेक-अनेक हो संसार में भिन्न-भिन्न रूपों में छा गए हैं - जो
कहना चाहते हैं, पर कह नहीं पाते। जिनके हृदय की प्रतिहिंसा न्याय और अन्याय
तको परखकर भी अत्याचार को चुनौती नहीं दे सकती, क्योंकि बोलने के लिए स्वर
होकर भी स्वर में अर्थ नहीं है... क्योंकि वे असमर्थ हैं।
prasang vhakhya​

Answers

Answered by vk20059218
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Hola amigos..........

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