हाइड्रोजन के रेखा स्पेक्ट्रम की व्याख्या chemistry me class ११ th nots
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हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम , बोर का हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम : किसी परमाणु में चमकीली रेखाएं दिखाई देना स्पेक्ट्रम कहलाती है , ये अलग अलग रंग के बैंड होते है।
बोमर ने हाइड्रोजन परमाणु के स्पेक्ट्रम की व्याख्या का अध्ययन किया और अपने बोहर मॉडल के अनुसार हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की व्याख्या की।
हाइड्रोजन परमाणु अपने नाभिक की सबसे पास वाली कक्षा में इलेक्ट्रॉन होने पर सबसे अधिक स्थायी रहता है , अर्थात हाइड्रोजन में जब इलेक्ट्रॉन मुख्य क्वांटम संख्या एक (n = 1) में उपस्थित रहता है तो हाइड्रोजन परमाणु स्थायी रहता है , इसे हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था अवस्था कहते है।
जब इलेक्ट्रॉन वातावरण से ऊर्जा प्राप्त कर लेता है तो इस ऊर्जा के कारण यह उच्च कक्षाओं में पहुँच जाता है अर्थात मुख्य क्वान्टम संख्या n = 2 , 3 , 4 आदि कक्षा में पहुँच जाता है , उच्च कक्षाओं में परमाणु अस्थायी रहता है , इसलिए स्थायित्व प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रॉन hv ऊर्जा त्यागकर पुन: निम्नतम अवस्था या निम्नतम कक्षा में पहुँच जाता है , इलेक्ट्रॉन द्वारा त्यागी गयी ऊर्जा v आवृत्ति विकिरण ऊर्जा उत्सर्जित करता है। यह विकिरण उत्सर्जन स्पेक्ट्रम के रूप में दिखाई देता है अर्थात अलग अलग रंग की लाइनों के रूप में दिखाओ देता है।
अलग अलग कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन संक्रमण से अलग रंग के स्पेक्ट्रम उत्पन्न होते है।
बामर ने 1885 में इसके बारे में विस्तार से बताया था।
माना कोई इलेक्ट्रॉन n1 कक्षा से n2 कक्षा में पहले संक्रमित होती है और पुन: वापस n2 कक्षा से n1 कक्षा में लौट आता है और इस दौरान स्पेक्ट्रम बनाता है अर्थात ऊर्जा उत्सर्जित करता है।
माना n1 कक्षा की ऊर्जा En1 है और n2 कक्षा की ऊर्जा En2 है तथा इलेक्ट्रॉन hv ऊर्जा का फोटोन विकिरण उत्सर्जित करता है तो –
En2 – En1 = hv
बोहर ने अनुसार बोर श्रेणी की सभी रेखाओं की तरंग दैर्ध्य (λ)का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है –
यहाँ R एक नियतांक है जिसे रिडबर्ग नियतांक कहते है और इसका मान 1.097 x 107 m−1 होता है।
बामर श्रेणी की कई श्रेणियाँ दृश्य भाग में होती है , अदृश्य भाग में भी श्रेणियां प्राप्त होती है जिन्हें लाइमन श्रेणी , पराबैंगनी भाग में होती है तथा पाश्चन , ब्रेकेट व फूंड श्रेणियां अवरक्त भाग में प्राप्त होती है।
हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की विभिन्न श्रेणियाँ
1. लाइमन श्रेणियाँ : यदि इलेक्ट्रान संक्रमण उच्च कक्षाओं जैसे मुख्य क्वांटम n = 2 , 3 , 4 ,,,,,,,, आदि से निम्नतम कक्षा (मुख्य क्वांटम संख्या n = 1) में होता है तो इस प्रकार के इलेक्ट्रान संक्रमण से प्राप्त स्पेक्ट्रम श्रेणियों को लाइमन श्रेणी कहते है।
यह श्रेणी पराबैंगनी भाग में प्राप्त होता है।
चूँकि इस श्रेणी में n1 = 1 तथा n2 = 2 , 3 , 4 ,,,,,,,, आदि हो सकता है।
अत: इसका सूत्र निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है –
जब n1 = 1 तथा n2 = 2 होता है तब सबसे लम्बी लाइमन श्रेणी की लाइन प्राप्त होती है।
जब n1 = 1 तथा n2 = अन्नत हो तब सबसे छोटी लाइन प्राप्त होती है। (लाइमन श्रेणी की)
2. बामर श्रेणियां : जब इलेक्ट्रॉन का संक्रमण n = 3 , 4 , 5 ,,,,,,,, आदि से निम्न कक्षा में अर्थात n = 2 में होता है तो इससे बामर श्रेणी कहते है।
जब n1 = 2 तथा n2 = 3 होता है तब सबसे लम्बी बामर श्रेणी की लाइन प्राप्त होती है।
जब n1 = 2 तथा n2 = अन्नत हो तब सबसे छोटी लाइन प्राप्त होती है। (बामर श्रेणी की )
ये श्रेणियां दृश्य क्षेत्र में प्राप्त होती है।
3. पाश्चन श्रेणी : जब इलेक्ट्रॉन उच्च कक्षाओं n = 4 , 5 , 6 ,,,,,,,, आदि से निम्न कक्षा n = 3 में लौटता है तो इससे प्राप्त श्रेणियों को पाश्चन श्रेणी कहते है।
यह श्रेणी अवरक्त भाग में प्राप्त होती है।
4. ब्रेकेट श्रेणी : जब इलेक्ट्रान संक्रमण उच्च कक्षा n = 5 , 6 , 7 ,,,,,,,, आदि से निम्न कक्षा n = 4 में होता है तो इससे प्राप्त श्रेणी को ब्रेकेट श्रेणी कहते है।
यह श्रेणी भी अवरक्त क्षेत्र में प्राप्त होती है।
5. फुण्ड श्रेणियाँ : इसमें इलेक्ट्रॉन का संक्रमण उच्च कक्षाओं n = 6 , 7 , 8 ,,,,,,,, आदि से निम्न कक्षा n = 5 में होता है।
ये श्रेणियां भी अवरक्त भाग में प्राप्त होती है
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