हो जाए न पथ में रात कहीं, मंजिल भी तो है दूर नहीं- यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है। दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
क)-कवि के मन में किस चीज की आशंका है ?
ख) कवि किस आशा से प्रेरित हो उठता है?
ग) थका हुआ पथी किस कारण जल्दी जल्दी चलता है ?
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- (क) उत्तर - कवि के मन में आशंका है कि आज दिन बहुत तेजी से बीत रहा है कहीं लक्ष्य छूट न जाए।
- (ख) उत्तर -कवि को आशा है कि लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मंजिल अब पास आने ही वाली है। कवि निराशाजनक नहीं है,वे इन पंक्तियों के माध्यम से बताना चाहते हैं कि जीवन में कितनी ही बाधाएं आ जाए लेकिन निराश नहीं होना चाहिए, मंजिल पास आने ही वाली है कहकर भटके हुए यात्री को आशा की करण जगा रहे हैं।
- (ग) उत्तर - थका हुआ पथी अर्थात् राही जो अपने लक्ष्य के निकट है और समय की पाबंदी के कारण डरा हुआ है। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जल्दी जल्दी चलने के लिए तेजी से चल रहा है।
Explanation:
- "दिन जल्दी ढलता है" कविता श्री हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित है एवं यह कविता निशा निमंत्रण से लिया गया है।
- इस कविता में कवि ने बताया है कि किस प्रकार एक यात्री बहुत जल्दी जल्दी अपना काम करता है और चलता है ताकि वह अपने प्रिय जनों के पास घर पहुंच सके उसे यह भय लगा रहता है कि कहीं उसे पहुंचने में देर ना हो जाए कहीं रात न हो जाए।
- वह चिड़िया का भी उदाहरण देता है जिस प्रकार चिड़िया के बच्चे अपने माता-पिता का घोसले में इंतजार करते होते हैं और चिड़िया को भी देर होने की चिंता होती है उसी प्रकार उसे भी घर जाने की जल्दी थी।
- परंतु उसके बाद वह यात्री निराश हो जाता है क्योंकि उसका तो कोई अपना है ही नहीं जिसके लिए वह घर जाए और जो उसका इंतजार कर रहे हो पर फिर वह उस निराशा को भूलकर यह सोचता है की हमें अपनी मंजिल तक तो पहुंचना ही है चाहे कोई हो या ना हो।
- हर प्रकार की बाधाएं दूर कर बिना हताश हुए बिना निराश हुए बिना थके हुए हमें अपना काम पूर्ण करके अपने गंतव्य तक पहुंचना है।
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