है कौन विघ्न ऐसा जग में, ।
टिक सके आदमी के मग में ?
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।
Hindi mai Yaha lines ka mulvab chahi
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दी गई पंक्तियी का अर्थ निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है।
- ये पंक्तियां रामधारी सिंह दिनकर रचित रचना की है।
- कवि का कहने का सार है कि इस संसार में ऐसी कोई विपत्ति नहीं जिसका सामना इंसान नहीं कर सकता ।
- कवि कहते है कि यदि मानव हिम्मत करे तो पत्थर से भी पानी निकाल सकता है।
- जो सूरमा होते है वे विचलित नहीं होते , अपने लक्ष्य पर टिके रहते है। वे कभी धीरज नहीं खोते, बाधाओं को खुशी से गई लगाते हुए आगे ही बढ़ते जाते है।
- जो कांटो की राह पर चलना सीख जाता है वहीं सफलता प्राप्त करता है।
- मानव की महत्वाकांक्षा में ऐसी शक्ति होती है कि वह पर्वत भी उखाड़ सकता है।
- कवि कहते है कि विघ्न हमे सोते से जगाने के लिए आते है।
#SPJ3
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